*“ग्राम भरुवाडीह कला में गौरा-गौरी विसर्जन के साथ गूंजा लोक संस्कृति का उल्लास”*
खरोरा अंचल अंतर्गत ग्राम भरुवाडीह कला में आदिवासी समाज द्वारा परंपरागत श्रद्धा और उत्साह के साथ गौरा-गौरी की स्थापना की गई थी। विसर्जन के पूर्व रात्रि में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ गौरा-गौरी विवाह कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें ग्रामवासी बड़ी संख्या में शामिल हुए।विवाह उत्सव में गाजे-बाजे की धुन, लोकगीत और पारंपरिक नृत्य ने पूरे गांव को उत्सवमय बना दिया। अगले दिन विधि-विधान से गौरा-गौरी को भावपूर्ण विदाई दी गई और तालाब में विसर्जित किया गया। गांव की युवतियों ने आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किए तथा गाजे-बाजे की थाप पर पूरा ग्राम आनंद और भक्ति से झूम उठा।इस अवसर पर ग्राम सरपंच चित्रलेखा सेतकुमार बंजारे सहित चैन सिंह ध्रुव, अशोक ध्रुव, राम सिंह ध्रुव, ठग्गू, भानु, बलराम वर्मा, भगवानी, श्रवण, हेमू, देवेंद्र, मेघराज और बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित रहे।ग्राम के शिक्षक धीरेंद्र कुमार वर्मा ने कहा कि —
“गौरा-गौरी पर्व हमारे लोक जीवन की आत्मा है। यह पर्व न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखता है, बल्कि गांव में एकता, सौहार्द और सामूहिकता की भावना को भी सशक्त करता है।” ग्रामवासियों ने इस अवसर पर आपसी भाईचारे और लोक संस्कृति के संरक्षण का संदेश दिया।