नेवरा तिल्दा सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नेवरा में सेवानिवृत्त वरिष्ठ आचार्य श्री विदेशी राम साहू जी के सम्मान समारोह
तिल्दा नेवरा।
दिलीप वर्मा।
नेवरा तिल्दा सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नेवरा में सेवानिवृत्त वरिष्ठ आचार्य श्री विदेशी राम साहू जी के सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि वरिष्ठ आचार्य श्री विदेशी राम साहू, विशिष्ट अतिथि फाउंडर मेंबर श्री दिलीप शर्मा, सचिव श्री स्वप्निल श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष श्री दिलीप वर्मा, समिति सदस्य श्री कृष्ण कुमार सोनी, प्राचार्य श्री वासुदेव साहू ने मां सरस्वती, मां भारती एवं ओमकार के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया। इस अवसर पर श्री विदेशी राम आचार्य जी ने अपने उद्बोधन में कहा की मैंने इस विद्यालय में 27 साल सेवा दी है। उन्होंने कहा कि सम्मान किसी से मांगा नहीं जाता बल्कि कमाया जाता है। आप सभी ने मुझे जो सम्मान दिया है,मैं उसके लिए आप सभी का आभारी हूं।
इस अवसर पर बहन तनीषा कश्यप ने कहा कि मैं बचपन से यहां पढ़ रही हूं, आचार्य जी से मेरा संबंध घर जैसा है उनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है, मैं उनसे हमेशा सीखती रही हूं। भैया अक्षय एवं भैया तन्मय ने गीत प्रस्तुत किया। शिशु वाटिका प्रमुख श्रीमती उर्मिला कश्यप ने इस अवसर पर कहा कि आचार्य जी हमेशा हमारे साथ मिलकर रहते हैं। वे मेरे बड़े भाई जैसे हैं। कुछ भी कार्य हो हमेशा हमारे साथ मिलकर करते हैं। भैया तन्मय चौबे ने कहा कि आचार्य जी का स्वभाव बहुत ही अच्छा है। उनका प्रत्येक शनिवार को मानस प्रसंग गाना मुझे बहुत ही अच्छा लगता है। मैं उन्हीं को सुनने हर शनिवार को स्कूल आता था। वरिष्ठ आचार्य श्रीमती पूर्णिमा साहू ने कहा कि इस अवसर पर कहा कि विदाई शब्द का मतलब शादी-शुदा लड़कियां बहुत अच्छे से समझती हैं ,मुझे आचार्य जी का मार्गदर्शन हमेशा ही प्राप्त हुआ है ।इस विद्यालय से जाने के बाद भी वे हम सभी से अपना संपर्क हमेशा बनाए रखें। श्रीमती दीपशिखा ताम्रकार दीदी जी ने कहा कि मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है। जब भी मुझे कुछ समझ नहीं आता तो मैं उनसे सीख कर कक्षा में पढ़ती हूं। वह बहुत ही अच्छा समझाते हैं। बहन कनक ने इस अवसर पर कहा कि आचार्य जी का स्वभाव बहुत ही अच्छा है। वह हमें कक्षा में खूब हंसाते थे। हमारा हंसते-हंसते बुरा हाल हो जाता था। आचार्य श्री प्यारेलाल वर्मा ने इस अवसर पर कहा कि जिस सत्र आचार्य जी विद्यालय आए उसी सत्र मै भी विद्यालय आया। वे बड़े ही अच्छे स्वभाव के हैं, वह पहले अकेले रहते थे। उन्होंने बहुत ही कड़ा संघर्ष किया है और आज भी कर रहे हैं। विद्यालय में प्राप्त दायित्व को निष्ठा पूर्वक निभाते हैं। उनका पढ़ने का तरीका बहुत ही आकर्षक है। सचिव श्री स्वप्निल श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज हम विदेशी राम साहू जी के समान समारोह के लिए एकत्रित हुए हैं। हमने सीखा है कि जीवन में ज्ञानी और समझदार होना सरल है किंतु सरल और सहज होना बहुत ही कठिन है। जो आचार्य श्री विदेशी राम साहू जी की सबसे बड़ी विशेषता रही है। आचार्य जी की बातें हमेशा प्रेरणा देती रही है। 27 साल तक इन्होंने इस विद्यालय को अपनी सेवा दी है ऐसे ही सेवा वे आगे भी समय-समय पर देते रहे। उनके आगे का जीवन खुशहाल और सुखमय रहे यही हमारी कामना है। समिति सदस्य कृष्ण कुमार सोनी जी ने कहा कि एक आचार्य को समझने में पूरी जिंदगी निकल जाती है, फिर भी आप इसका मतलब नहीं समझ सकते। जो अपने कार्य और गुण के माध्यम से सभी को सदाचारी बना दे उसे आचार्य कहते हैं। जो आपको सदाचारी बनाकर जीवन के प्रत्येक सीढ़ी पर आगे बढ़ने के लिए सक्षम बनाएं व सदैव प्रेरित करें, वही सही अर्थों में आचार्य होता है। आचार्य जी ने इतने लंबे समय तक इस विद्यालय को सेवा दी, अपना समय दिया,अब वह अपने परिवार को,अपने लोगों को समय देंगे ।अपने जीवन के एक कार्य को पूर्ण कर जीवन के दूसरे कार्य की ओर अग्रसर हो रहे हैं। हम उनके उन्नत पूर्ण जीवन की कामना करते हैं। फाउंडर मेंबर श्री दिलीप शर्मा ने कहा कि हम सभी श्री विदेशी राम जी के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।उनके 27 वर्ष में पढ़ाये हुए भैया- बहन उनको हमेशा याद रखेंगे।प्रबंध कमेटी भी हमेशा उनको याद रखेगी। समिति सदस्य द्वारा श्री विदेशी राम साहू आचार्य जी को चांदी का सिक्का, शॉल, श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया। तत्पश्चात विद्यालय के आचार्य- दीदीयो द्वारा उन्हें भेट प्रदान की गई,साथ ही विद्यालय के भैया- बहनों द्वारा भी विभिन्न प्रकार के उपहार भेंट प्रदान किए गए ।इस कार्यक्रम में समिति सदस्य, विद्यालय के समस्त आचार्य-दीदीया एवं समस्त भैया बहन उपस्थित रहे।