*जिन लोगों ने संविधान का गला घोंटा,वे आज इसके रक्षक होने का ढोंग रच रहे हैं - डॉ. प्रतीक उमरे*
दुर्ग नगर निगम के पूर्व एल्डरमैन भाजपा नेता डॉ. प्रतीक उमरे ने 50 वर्ष पूर्व 1975 में देश में आपातकाल लागू किए जाने का घटनाक्रम याद करते हुए कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि भारत के इतिहास के उस काले अध्याय की 50वीं बरसी है,जब 1975 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने देश पर आपातकाल थोपकर लोकतंत्र की आत्मा को कुचलने का घृणित प्रयास किया था।संविधान की पवित्रता को तार-तार किया गया,नागरिकों के मौलिक अधिकारों को बेरहमी से छीना गया,प्रेस की स्वतंत्रता पर ताला जड़ा गया और लाखों निर्दोष लोगों को बिना किसी अपराध के जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया।यह सब केवल सत्ता के नशे में चूर एक परिवार और उनकी कुर्सी को बचाने के लिए रची गई साजिश का हिस्सा था।आपातकाल कांग्रेस की उस अत्याचारी और क्रूर मानसिकता का स्पष्ट प्रमाण है,जिसने संविधान की हत्या करके देश को एक तानाशाही जेलखाने में तब्दील कर दिया।यह विडंबना ही है कि जिन लोगों ने संविधान का गला घोंटा,वे आज इसके रक्षक होने का ढोंग रच रहे हैं।उनकी यह दोहरी मानसिकता न केवल उनके पाखंड को उजागर करती है,बल्कि यह भी याद दिलाती है कि लोकतंत्र को कमजोर करने की उनकी प्रवृत्ति आज भी खत्म नहीं हुई है।सभी स्वतंत्रता सेनानियों,पत्रकारों,कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों को नमन है जिन्होंने आपातकाल के खिलाफ साहसपूर्वक संघर्ष किया और लोकतंत्र को पुनर्जनन दिया।उनका बलिदान आज भी प्रेरित करता है कि स्वतंत्रता और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए सतत जागरूकता और संघर्ष आवश्यक है।भारत का लोकतंत्र कभी भी ऐसी तानाशाही का शिकार नहीं होगा।भारतीय जनता पार्टी पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है कि संविधान की मर्यादा,नागरिक स्वतंत्रता और प्रेस की आजादी को हर हाल में संरक्षित रखा जाएगा।यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम अपने संविधान और लोकतंत्र को हर उस खतरे से बचाएं,जो इसे कमजोर करने की साजिश रचता हो।