रोपा लगाने की चिंता हुई दूर नई मशीन का प्रदर्शन सफल रहा
खरोरा: धान फसल की रोपाई के लिए अंचल मे नई मशीन आ जाने से खेती में नई क्रांति आने की संभावना बनी है। सन साइन मोटर्स के द्वारा कुबोटा कंपनी ने उन्नत शील किसान वामन कुमार टिकरिहा ने अपने 2 एकड़ खेत में ग्रीष्मकालीन धान के लिए इस नई मशीन से रोपाई का प्रदर्शन कराया जो काफी सफल रहा है और महज 2 घंटे में रोपाई का कार्य पूरा हो गया। इस प्रदर्शन को देखने के लिए अंचल के डेढ़ सौ से अधिक किसान वामन टिकरिहा के खेत में उपस्थित थे। पूर्व विधायक जनक राम वर्मा ,पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं अधिवक्ता दिनेश यदु, भटभेरा समिति के पूर्व अध्यक्ष एवं उन्नतशील कृषक संतोष चंद्राकर एवं हरीश वर्मा रोपाई कार्य के प्रदर्शन को देखने के लिए विशेष रूप से उपस्थित थे ताकि आने वाले समय में वे भी अपने खेतों में इस तकनीक को अपना सके।
विदित हो कि खेतों की जोताई के लिए ट्रैक्टर और कटाई के लिए हार्वेस्टर खरपतवार नाशक कीटनाशकों के आने से बीते कुछ दशकों से किसानों को काफी सुविधा मिली है लेकिन बीते कुछ सालों से मजदूरों की काफी समस्याओं के कारण रोपाई का कार्य काफी कठिन हो रहा है। दरअसल प्रति एकड़ रोपाई की कीमत 4500 हजार रुपए से ₹5000 तक मजदूरी लेने के बावजूद मजदूर मिल नहीं पाने के करण या तो रोपाई ही नहीं कराता और यदि कराता भी है तो फसल का उत्पादन काफी गिर जाता है जिससे किसानों को काफी नुकसान होता है।कृषक संतोष चंद्राकर एवं हरीश वर्मा ने बताया कि कीटनाशक एवं खरपतवारों के छिड़काव के लिए ड्रोन आ चुका है जिसमें सही मात्रा में खेत में सिंचाई होता है कम समय में होता है और कम लागत में होता है लेकिन रोपाई कराना विकट समस्या बनी हुई है। लोगों ने कहा कि रोपा लगाने वाले इस मशीन से निर्धारित वर्तमान परंपरागत पद्धति से आदि कीमत यानी ₹3000 प्रति एकड़ में रोपाई की जा सकेगी।
इस पद्धति में थरहा यानी क्यारी डालने के लिए प्लेटो की आवश्यकता होती है जिसमें भुरभुरा मिट्टी डालकर बीज डालकर नर्सरी तैयार किया जाता है। नर्सरी 15 दिनों में तैयार हो जाता है। उसके बाद धान रोपने वाली मशीन मे डालकर 1 घंटे प्रति एकड़ के हिसाब से इसकी रोपाई कर दी जाती है। और वहां दो व्यक्ति इस मशीन को ऑपरेट करने के लिए सक्षम होते हैं। प्रदर्शन देखने वाले किसानों ने इस पद्धति की जमकर प्रशंसा करते हुए कहा कि आने वाले दिनों में जोताई और कटाई की तरह रोपाई भी मशीन से होगी जिससे लोगों को कृषि लागत काम आएगी और समय पर काम हो सकेगा जिससे किसान कम लागत में अधिक उत्पादन ले पाएंगे।