*सहकारी समिति कर्मचारी एवं डेटा एंट्री ऑपरेटरों का संभाग स्तरीय आंदोलन जारी — 4 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेशभर में विरोध तेज**
*सहकारी समिति कर्मचारी एवं डेटा एंट्री ऑपरेटरों का संभाग स्तरीय आंदोलन जारी — 4 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेशभर में विरोध तेज**
छत्तीसगढ़ प्रदेशभर की सहकारी समितियों के लगभग 15 हजार कर्मचारी तथा 2739 उपार्जन केंद्रों में कार्यरत संविदा कंप्यूटर ऑपरेटर अपनी 4 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। राज्य के सभी पांच संभागों में कर्मचारी संभाग स्तरीय धरना देकर शासन का ध्यान अपनी लंबित मांगों की ओर आकर्षित कर रहे हैं। रायपुर संभाग के आंदोलनकारियों को नवा रायपुर के तूता धरना स्थल पर प्रदर्शन की अनुमति नहीं मिलने के कारण महासमुंद के लोहिया चौक पर धरना दिया गया। आंदोलन का आज सातवां दिन है, जिसमें महासमुंद, रायपुर, बलौदाबाजार, धमतरी और गरियाबंद जिलों के कर्मचारी व कंप्यूटर ऑपरेटर बड़ी संख्या में शामिल हुए। धरना स्थल पर कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की और अपनी मांगों को शीघ्र पूरा करने की चेतावनी दी। यह आंदोलन छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ एवं धान खरीदी कंप्यूटर ऑपरेटर महासंघ के संयुक्त आह्वान पर 3 नवंबर से अनिश्चितकालीन रूप से जारी है। आंदोलनकारियों का कहना है कि यदि उनकी मांगों पर सरकार ने शीघ्र निर्णय नहीं लिया तो वे प्रदेशव्यापी धान खरीदी का बहिष्कार करेंगे। वर्तमान आंदोलन के कारण राशन वितरण, समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की तैयारी, माइक्रो एटीएम, बचत बैंक और धान पंजीयन जैसे कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही, कंप्यूटर ऑपरेटरों का लगातार स्थानांतरण किए जाने पर भी नाराजगी जताई गई है।
प्रमुख 4 सूत्रीय मांगें
1. धान खरीदी वर्ष 2023-24 और 2024-25 में धान खरीदी के बाद संपूर्ण सूखत राशि समितियों को प्रदान की जाए।
2. धान परिवहन में विलंब रोकने हेतु प्रत्येक सप्ताह संपूर्ण धान परिवहन सुनिश्चित किया जाए।
3. समर्थन मूल्य पर धान खरीदी में शार्टेज, प्रोत्साहन, कमीशन व सुरक्षा व्यय बढ़ाया जाए, तथा मध्यप्रदेश की तर्ज पर उचित मूल्य विक्रेताओं को ₹3000 प्रतिमाह मानदेय प्रदान किया जाए।
4. आउटसोर्सिंग से कंप्यूटर ऑपरेटरों के नियोजन को समाप्त कर, वर्षों से कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटरों का विभागीय नियमितीकरण किया जाए|इसके साथ ही सहकारी समितियों के कर्मचारियों को वेतन भुगतान हेतु प्रत्येक समिति को ₹3-3 लाख प्रतिवर्ष प्रबंधकीय अनुदान राशि दिए जाने की भी मांग की गई है।आंदोलनकारी कर्मचारियों ने कहा कि उनकी समस्याएं वर्षों से लंबित हैं, बावजूद इसके शासन-प्रशासन की उदासीनता बनी हुई है। यदि उनकी जायज मांगों पर जल्द निर्णय नहीं लिया गया तो वे आंदोलन को और व्यापक रूप देने के लिए बाध्य होंगे।