*सजना है मुझे सजना के लिए : सोलह श्रृंगार से सजकर सुहागिनें ने की चांद का दीदार, छलनी के ओट से पति की छवि निहारकर चंद्रमा को दिया अर्घ्य **

*सजना है मुझे सजना के लिए : सोलह श्रृंगार से सजकर सुहागिनें ने की चांद का दीदार, छलनी के ओट से पति की छवि निहारकर चंद्रमा को दिया अर्घ्य **

*सजना है मुझे सजना के लिए : सोलह श्रृंगार से सजकर सुहागिनें ने की चांद का दीदार, छलनी के ओट से पति की छवि निहारकर चंद्रमा को दिया अर्घ्य **
*सजना है मुझे सजना के लिए : सोलह श्रृंगार से सजकर सुहागिनें ने की चांद का दीदार, छलनी के ओट से पति की छवि निहारकर चंद्रमा को दिया अर्घ्य **

खरोरा 
हरितालिका व्रत के बाद महिलाओं द्वारा पति
की लंबी उम्र के लिए रखे जाने वाला करवा चौथ आज मनाया गया । सुहागिनों द्वारा पर महिलाओं ने भी जमकर खरीदारी की बाजार में करवा चौथ पूर्णिमा हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार अश्विन महीने की कृष्ण पक्ष चतुर्थी को मनाया जाता है। व्रत का महत्व मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है। महिलाएं चंद्र भगवान शिव और भगवान गणेश सहित उनके के परिवार की पूजा करती हैं।
मेहंदी लगा ली हाथों पर, और माथें पर सिंदूर लगाया है...पिया जी आ जाओ पास हमारे, देखो चाँद भी निकल आया है....कुछ इसी अंदाज में महिलाएं रविवार को करवा चौथ व्रत रखी। हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। करवा चौथ के दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला उपवास रखती हैं और रात को चांद देखने के बाद ही व्रत खोलती हैं। पति की लंबी उम्र व संतान सुख की कामना के साथ रायपुर शहर सहित ग्रामीण अंचलों में भी सुहागिनों द्वारा करवा चौथ पर्व मनाया गया। सुबह से निर्जल-निराहार व्रत रख रात को चांद का दीदार कर अपने चांद (पति) के हाथों से मिट्‌टी के करवे में भरा पानी पीकर उपवास पूरा की। पूजन में पति की लंबी उम्र, संतान सुख सहित घर-परिवार की सुख, समृद्धि की कामनाएं भी की। महिलाओं ने सुबह से ही अन्न-जल त्याग कर अपने पति की लंबी उम्र के लिए उपवास रखा था। देर रात को चंद्रदर्शन के बाद पति परमेश्वर की पूजा-अर्चना के साथ व्रत खोला गया। करवाचौथ पर सुहागिनों ने व्रत रख पति की दीर्घायु की कामना करती है। रात में चांद का दीदार कर पति की छवि छलनी में निहारकर और पैर छूकर आशीर्वाद लेतीं है। इसके बाद पति के हाथ पानी पीकर व्रत तोड़ते हैं। मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत रखने से सुहागिनों को पति की दीर्घायु का वरदान मिलता है। शास्त्र वर्णित महत्व के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सुहागिनों द्वारा विधि विधान से करवा चौथ का व्रत किया जाता है। महिलाओं ने पाटले पर जल से भरा लोटा व मिट्टी के करवे में गेहूं भरकर रख दोपहर में कथा का पाठ किए। शाम को चांद निकलने पर उसे पानी से अर्घ्य देकर उपवास पूर्ण किया। इसके बाद दीवार या कागज पर चंद्रमा तथा उसके नीचे शिवजी व कार्तिकेय की चित्रावली बनाकर पूजा की व करवा चौथ की कथा सुनाई। व्रत सुहागिन महिलाएं श्रद्धा एवं भक्ति के साथ विधि-विधान से करती हैं। अच्छे जीवन साथी की चाह में कुंवारी युवतियों ने भी करवाचौथ का व्रत रखे थे। शाम को पूजन स्थान पर भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय व भगवान श्रीगणेश एवं करवे का पूजन किया। आरती के बाद चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रमा का पूजन कर अर्घ्य देकर जल ग्रहण कर करवा चौथ की कथा का श्रवण किया। रात को चंद्रमा के उदय होते ही पूजन कर अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत पूरा की। कहीं सर्गी तो कहीं सामूहिक गीत गाकर चांद का दीदार किया। करवा चौथ का दिन प्यार को और परवान चढ़ा देता है। शहर में करवा चौथ व्रत उत्साह के साथ मनाया गया। आसमान से चांद अपनी चांदनी बिखेर रहा था, सोलह श्रृंगार कर सजीं सुहागिनों की चमक छतों पर अपनी छटा बिखेर रही थी। श्रृंगार कर सजी सुहागिनों के चेहरे से पिया की नजरें हटती नहीं बन रही थीं। पति की दीर्घायु के लिए दिनभर भूखी प्यासी सुहागिनों ने छलनी में चांद और अपने पति को देखकर पति के हाथ से जल पीकर निर्जला करवा चौथ का व्रत खोला। इससे पहले श्रृंगार कर महिलाएं चांद के दिखने का इंतजार करती रहीं। काफी अठखेलियों के बाद चांद के दर्शन हो पाए। करवाचौथ का व्रत करने वाली सुहागिनें दुल्हन की तरह सजी हुईं नजर आईं। वहीं हाथों में रची मेंहदी ने सुहागिनों के रूप को और अधिक निखार दिया। दोपहर को घर की बुजुर्ग महिलाओं ने सुहागिनों को घरों में कथा कर पूजन कराया। इसके अलावा महिलाओं ने मंदिरों में पहुंचकर भी पति की लंबी उम्र की दुआ मांगी। मेंहदी से सजे हाथ और कलाइयों से घर के तमाम काम काज निपटाती महिलाओं के चेहरे पर करवा चौथ का व्रत रखने की चमक दिनभर बनी रही। दिन चढ़ने के साथ-साथ सूर्यास्त हुआ तो महिलाओं का गला प्यास के कारण सूखने लगा किंतु चांद के दर्शन करके अपने पति के हाथ से जल ग्रहण करने की परंपरा का निर्वाह करने के कारण उनका उपवास और भी लंबा हो गया। देर शाम को अठखेलियों के बाद जब चांद का दीदार हुआ तो महिलाओं ने अ‌र्घ्य देकर अपने पतियों का चेहरा देखा और उनकी लंबी आयु की कामना की। शाम को श्रृंगार अलंकरण कर पूजा अर्चना की और देर शाम सोलह श्रृंगार कर चांद का दीदार करने पहुंचीं। रात में चांद का दीदार कर पति की छवि छलनी में निहारी और पैर छूकर आशीर्वाद लिया। इसके बाद पति के हाथ पानी पीकर व्रत तोड़ा। चांद के दिखते ही कई जगहों पर पटाखे फोड़कर खुशी का इजहार किया गया। महिलाओं का पूरा दिन बाजारों और घरों में सुबह से हाथों में पिया के नाम की मेहंदी रचाने और सजने-संवरने में बीत गया। चांद का दीदार होते ही सभी ने पति की लंबी आयु की प्रार्थना की। इसके बाद सुहागिनों ने चांद के संग पति को छलनी से निहारने के बाद अपना व्रत तोड़ा। पर्व को लेकर देर रात तक शहर में उल्लास का माहौल नजर आया। निर्जला व्रत की वजह से भले ही महिलाओं के चेहरे पूरे दिन मुरझाये रहे हों, लेकिन उनमें सजने-संवरने की चाहत बनी रही। कई महिलाएं ब्यूटी पार्लरों की लाइन में लगी रहीं तो कुछ अपने घरों और पड़ोसी लड़कियों से मेहंदी लगवाती दिखीं। सजने-संवरने का यह दौर सुबह से शुरू हुआ, जो देर शाम तक जारी रहा। बाजारों और शहर की गलियों में सजी संवरी महिलाएं नजर आती रहीं। सोशल मीडिया पर भी करवा चौथ ट्रेंड करता रहा। सुबह से ही मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ी रही। वहीं कई महिलाओं ने व्रत तो नहीं रखा, लेकिन अपने घरों में विधिविधान से पूजन कर पति की लंबी उम्र की कामना की। करवा चौथ के दिन प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा से व्रत की शुरुआत होती है। इस दिन पटरे पर चौकी में जल भरकर रखा जाता है। थाली में रोली, गेंहू, चावल, मिट्टी का करवा, मिठाई, बायना के सामान आदि रखे जाते हैं। इस दिन मेहंदी का भी खास महत्व रहता है। क्योंकि मेहंदी सौभाग्य की निशानी मानी जाती है। इधर, हाथों पर मेहंदी सजाने से लेकर सजना के लिए सोलह श्रृंगार कर सजने के लिए सुहागिन महिलाओं ने तैयारी की थी। महिलाएं पर्व की तैयारी में जुटी रहीं। इसके लिए कई दिनों से बाजार गुलजार था। पर्व को लेकर महिलाओं का उल्लास देखते ही बन रहा था। नवविवाहिता में पहले करवाचौथ के व्रत को लेकर और भी उत्साह था। पर्व से पूर्व कपड़े, कास्मेटिक व आभूषणों से लेकर ब्यूटी पार्लरों में खासी चहलकदमी रही। पर्व के लिए तैयारी और सजने संवरने के लिए भी पूरे उत्साह से तैयारियों को अंतिम रूप देती रहीं। शहर के मार्केट सहित प्रमुख बाजारों में खासी भीड़ भाड़ रही।

श्री रोहित वर्मा जी की खबर

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