शाही सवारी से निकली राज की टोली, शाही परम्परा से मनाया दशहराबैंड बाजे की धुन पर थिरके लोग

शाही सवारी से निकली राज की टोली, शाही परम्परा से मनाया दशहराबैंड बाजे की धुन पर थिरके लोग

शाही सवारी से निकली राज की टोली, शाही परम्परा से मनाया दशहराबैंड बाजे की धुन पर थिरके लोग
शाही सवारी से निकली राज की टोली, शाही परम्परा से मनाया दशहरा
बैंड बाजे की धुन पर थिरके लोग
बालोद।
बालोद जिले के डौंडी लोहारा में पूर्वजों की परम्परा को बरकरार रखते हुए राज घराने के दशहरा का पर्व बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मनाया गया। राज घराने के लाडले डौंडी लोहारा नगर पंचायत अध्यक्ष लाल निवेंद्र सिंह टेकाम सहित उनका पूरा परिवार आयोजन में शामिल हुआ।

शुरुआत में परंपरागत तरीके से राज बाड़े में मौजूद देवी देवताओं का विधि विधान से पूजा अर्चना किया गया। जिसके बाद नगरवासियों के साथ मिलकर जय श्री राम के नारे लगाते हुए रावण का दहन किया गया और फिर डीजे और बैंड बाजे के साथ शाही बग्गी में सवार होकर हाथी घोड़े के साथ नगर भ्रमण किया गया। सामने में नगर वासी बैंड और डीजे की धुन पर थिरकते भी नजर आए।
पारंपरिक रिलो नृत्य रहा आकर्षण का केंद्र

जैसे ही देवी देवताओं की पूजा अर्चना के बाद राम रावण की टोली राज परिवार के साथ रावण मारने निकली। टोली के सामने सामने पारंपरिक रिलो नृत्य, आतिशबाजी अखाड़े के साथ रावण मारने निकली। खासकर रिलो नृत्य लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा।

150 साल पुरानी परंपरा आज भी कायम

राज परिवार के लाडले लाल निवेंद्र सिंह टेकाम ने बताया कि लगभग 150 साल पहले से उनके पूर्वजों ने राज दशहरा की परम्परा बनाई थी। जिसके तहत उनके आराध्य देवी देवताओं की पूजा अर्चना कर रावण मारने की परम्परा है। इसी परम्परा को आज भी कायम रखा गया है।
देवी देवताओं का होता है आगमन
राज बाड़ा में राज दशहरा के दिन जब देवी देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है तो उन्हें आव्हान भी किया जाता है। जिसके बाद छत्तीसगढ़ी परम्परा के साथ पूजा अर्चना करने के दौरान देवी देवताओं का आगमन होता है और उन्हीं की मौजूदगी में दशहरे का कार्यक्रम सम्पन्न होता है।

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