*एग्री स्टैक योजना की तकनीकी खामियों से किसान परेशान: डॉ. प्रतीक उमरे ने कृषि मंत्री से तत्काल सुधार की मांग*

*एग्री स्टैक योजना की तकनीकी खामियों से किसान परेशान: डॉ. प्रतीक उमरे ने कृषि मंत्री से तत्काल सुधार की मांग*

*एग्री स्टैक योजना की तकनीकी खामियों से किसान परेशान: डॉ. प्रतीक उमरे ने कृषि मंत्री से तत्काल सुधार की मांग*

*एग्री स्टैक योजना की तकनीकी खामियों से किसान परेशान: डॉ. प्रतीक उमरे ने कृषि मंत्री से तत्काल सुधार की मांग*
दुर्ग नगर निगम के पूर्व एल्डरमैन भाजपा नेता डॉ. प्रतीक उमरे ने केंद्र सरकार की 'एग्री स्टैक' योजना में व्याप्त तकनीकी कमियों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।उन्होंने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक विस्तृत सुझाव पत्र भेजा है,जिसमें योजना के नेशनल पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की गई है।डॉ. प्रतीक उमरे ने कहा कि खसरा नंबरों की गलत जानकारी और अन्य तकनीकी खामियों के कारण लाखों किसान धान जैसे प्रमुख फसलों की सरकारी खरीद से वंचित हो सकते हैं, किसानों को बेवजह पटवारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं और समय पर बिक्री न होने की आशंका किसानों को सता रही है।एग्री स्टैक योजना का उद्देश्य किसानों को डिजिटल सशक्तिकरण प्रदान करना था,लेकिन वर्तमान रूप में यह योजना किसानों के लिए अभिशाप सिद्ध हो रही है।नेशनल पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन न होने से धान खरीद प्रक्रिया में बाधा आ रही है। खसरा नंबरों में मामूली त्रुटि या सिस्टम की खराबी के कारण किसान घंटों जूझते रहते हैं,लेकिन समाधान नहीं मिलता।ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की अनियमित उपलब्धता और तकनीकी अशिक्षा के बावजूद इस योजना को लागू करना एक बड़ी चूक है। इसमें तत्काल सुधार की आवश्यकता है ताकि किसान एमएसपी पर अपनी फसल बेच सकें और आर्थिक नुकसान से बच सकें।

डॉ. प्रतीक उमरे ने पत्र में योजना में सुधार के लिए निम्नलिखित विस्तृत सुझाव दिए हैं:

तकनीकी खामियों का त्वरित समाधान: नेशनल पोर्टल पर खसरा नंबर वेरिफिकेशन सिस्टम को अपग्रेड किया जाए। डेटाबेस सिंक्रोनाइजेशन की समस्या को दूर करने के लिए राज्य स्तर के भूमि रिकॉर्ड से सीधी एकीकरण सुनिश्चित किया जाए। सर्वर डाउनटाइम और ई-साइन एरर जैसी समस्याओं के लिए 24x7 हेल्पलाइन और ऑटोमेटेड ट्रबलशूटिंग टूल विकसित किए जाएं।

ऑफलाइन और वैकल्पिक रजिस्ट्रेशन विकल्प: डिजिटल विभाजन को ध्यान में रखते हुए, ग्रामीण क्षेत्रों में ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन सेंटर स्थापित किए जाएं। पटवारी और तहसील कार्यालयों को सशक्त बनाया जाए,जहां किसान मोबाइल वैन या कैंप के माध्यम से रजिस्ट्रेशन करा सकें।विशेष रूप से धान खरीद सीजन (अक्टूबर-नवंबर) के लिए अस्थायी रजिस्ट्रेशन सुविधा प्रदान की जाए।

किसान जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम: किसान जागरूकता अभियान चलाया जाए, जिसमें स्थानीय भाषाओं में वीडियो ट्यूटोरियल,एसएमएस अलर्ट और ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यशालाएं शामिल हों।पटवारियों और कृषि अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाए,ताकि वे किसानों की सहायता कर सकें और दस्तावेजों की त्रुटियों को तुरंत सुधार सकें।

समयबद्ध निगरानी और फीडबैक तंत्र: एक केंद्रीय मॉनिटरिंग कमिटी गठित की जाए,जो रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की मासिक समीक्षा करे।किसानों के लिए एक मोबाइल ऐप या पोर्टल पर फीडबैक सिस्टम विकसित किया जाए,जहां वे अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें और 48 घंटे के अंदर समाधान सुनिश्चित हो। साथ ही योजना के कार्यान्वयन के लिए बजट में वृद्धि की जाए,ताकि तकनीकी अपग्रेडेशन पर फोकस हो सके।

विशेष राहत पैकेज: वर्तमान धान खरीद सीजन के लिए प्रभावित किसानों को विशेष छूट दी जाए,जैसे रजिस्ट्रेशन की समय सीमा बढ़ाना या मैनुअल वेरिफिकेशन की अनुमति।यदि रजिस्ट्रेशन में देरी के कारण नुकसान होता है, तो किसानों को मुआवजा प्रदान किया जाए।

भवदीय 
डॉ. प्रतीक उमरे 
पूर्व एल्डरमैन 
नगर निगम दुर्ग।

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