भिलाई । आईटीआई मैदान, खुर्सीपार में जीवन आनंद फाउंडेशन भिलाई एवं भारतीय जनता पार्टी के नेता श्री विनोद सिंह के संयोजन में पूज्य राजन जी महाराज के श्रीमुख से आयोजित श्रीराम कथा महिमा

भिलाई । आईटीआई मैदान, खुर्सीपार में जीवन आनंद फाउंडेशन भिलाई एवं भारतीय जनता पार्टी के नेता श्री विनोद सिंह के संयोजन में पूज्य राजन जी महाराज के श्रीमुख से आयोजित श्रीराम कथा महिमा

भिलाई । आईटीआई मैदान, खुर्सीपार में जीवन आनंद फाउंडेशन भिलाई एवं भारतीय जनता पार्टी के नेता श्री विनोद सिंह के संयोजन में पूज्य राजन जी महाराज के श्रीमुख से आयोजित श्रीराम कथा महिमा
भिलाई । आईटीआई मैदान, खुर्सीपार में जीवन आनंद फाउंडेशन भिलाई एवं भारतीय जनता पार्टी के नेता श्री विनोद सिंह के संयोजन में पूज्य राजन जी महाराज के श्रीमुख से आयोजित श्रीराम कथा महिमा के पंचम दिवस कथा में आज विशिष्ट श्रोता के रूप में दुर्ग रेंज के आईजी श्री रामगोपाल गर्ग जी सपरिवार पहुंचे एवं महाराज जी का आशीर्वाद प्राप्त किया। कथा में श्री राजीव पांडे जी, नगर निगम भिलाई के कमिश्नर श्री राजीव पांडे जी, रविशंकर सिंह जी भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य, श्री शंकरा ग्रुप के संस्थापक श्री आईपी मिश्रा जी, श्री अमित श्रीवास्तव जी डायरेक्टर मेडेक्स ग्रुप, श्री उपकार चंद्राकर जी प्रदेश महामंत्री भाजपा युवा मोर्चा, माननीय गुंजन प्रजापति जी युवा मोर्चा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, श्रीमति स्मिता दौडके एवं श्रीमति वीणा चंद्राकर जी पीयूष मिश्रा जी, पी सी देवांगन जी सीए, पार्षद नगर निगम भिलाई, श्री विनय जायसवाल जी मंत्री जिला भाजपा समेत हजारों की संख्या में लोग उपस्थित रहें।
छठवें दिन की कथा की शुरुआत आज अयोध्या से हुई जिसमें गोस्वामी तुलसी दास जी के तीन श्लोकों का वर्णन किया और उसका अर्थ व्यवहारिक जीवन से जोड़कर बताया। उन्होंने कहा प्रशंसा करने का स्वभाव नहीं तो बैकुंठ में कमी ढूंढेंगे, बड़ा वह नहीं जिसे जगत बड़ा मानता है, बल्कि बड़ा वह है जो जगत के प्रत्येक व्यक्ति में बड़प्पन ढूंढता है। जीवन किया गया सत्कर्म ही हमें प्रतिष्ठा दिलाता है, यह प्रतिष्ठा सदैव अक्षुण्ण रहती है। जीवन में प्रसन्न रहना है तो हर परिस्थिति स्वीकार करने का स्वभाव बनाएं। किसी परीक्षा में एक दो नंबर कम आ गए तो इससे निराश नहीं नहीं होना चाहिए। मार्कशीट हमारी योग्यता नहीं बता सकती दुनिया में कई ऐसे लोग है जो अनपढ़ होकर भी जीवन में कई महान कार्य किया है। उन्होंने कहा अपने कर्म को ईमानदारी से करना ही भजन है। यदि महिलाएं ईमानदारी से भोजन बनाती है तो वह भी भजन का ही एक प्रकार है। 
पूज्य राजन जी ने कहा रामचरित मानस को रामचरित मानस लाल कपड़े में लपेटकर आरती उतारने से आगे बढ़िए उसे रोज पढ़िए और जीवन में उतारिए। उसके किताब से का लाभ तभी प्राप्त होगा जब किताब की लिखी बाते किताब से निकलकर जीवन में दिखे। जनमानस में दिखना चाहिए। हर दिन रामचरित मानस की एक चौपाई पढ़ें। यदि 24 घंटे में हम एक मिनट भी सनातन धर्म के लिए न निकाल सकें तो हम मनुष्य कहलाने के अधिकारी नहीं। 
क्या गुरु दीक्षा के बिना राम नाम जपना काम करता है? पूज्य राजन जी ने श्रोताओं को सूचित करते हुए कहा कि सौ प्रतिशत करेगा। आप राम नाम का जाप करते रहें वहीं आपको आपके सदगुरु के निकट ले जाएगा। लेकिन जितना शीघ्र हो सके हमें गुरुदेव की शरण में चले जाएं। जीवन को परमात्मा के ओर मोड़ देता है। मेरे जैसे एक कारखाना चलाने वाले को राम की शरणागति मिल सकती है तो आप सभी क्यों नहीं मिलती। गुरु का अर्थ बताते हुए उन्होंने कहा जो जीवन की निराशा को आशा में बदल दे वही हमारे सदगुरु हैं। जो इस लोक के साथ हमारे उस लोक को भी व्यवस्थित कर दें वही सद्गुरु है। सदगुरु के बिना हमें ईश्वर की कृपा प्राप्त नहीं हो सकती।

अयोध्या कांड में आगे बढ़ते हुए कथा में पूज्य राजन जी ने राजा दशरथ द्वारा अपना राज पाठ श्री राम की को सौंपने की योजना के बारे में बताया। महाराज जी ने बताया कि कैसे वशिष्ठ जी महाराज से राजा दशरथ ने अयोध्या में राजा राम के राजतिलक के लिए मूर्हत निकालने कहा एवं गुरुवर ने 14 वर्ष तक कोई मुहूर्त न होने के बावजूद भी राजा दशरथ जी की आतुरता को देखते हुए तिथि बता दी। कैकई और मंथरा संवाद राम जी के वनवास का प्रसंग सुनाया। इसके पश्चात महाराज जी ने राम जी एवं केवट निषादराज गुहा के संवाद का भक्तिमय वर्णन किया। एक तरफ भगवान श्री राम जी केवट जी से निवेदन करते है शीघ्र गंगा पार कराने का दूसरी और केवट जी जिद करने लगते है नौका पर तभी बैठाऊंगा जब आप अपनी चरण धोने देंगे। इस संवाद को इतना सुंदर तरीके चित्रण किया कि श्रोताओं के आंसू छलक गए। श्रोता भाव विभोर हो गए।

महाराज जी ने सूचना दी सातवें दिन की कथा में श्रोताओं को राम भरत मिलन और चित्रकूट की कथा सुनाएंगे।

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