*आदर्श वही जो जीवन को दिशा दे, न कि भटकाए – बीके स्वाति दीदी*

*आदर्श वही जो जीवन को दिशा दे, न कि भटकाए – बीके स्वाति दीदी*

*आदर्श वही जो जीवन को दिशा दे, न कि भटकाए – बीके स्वाति दीदी*
*आदर्श वही जो जीवन को दिशा दे, न कि भटकाए – बीके स्वाति दीदी*
18 सितम्बर 2025, बिलासपुर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर की मुख्य शाखा राजयोग भवन, टेलीफोन एक्सचेंज रोड के तत्वावधान में आज आयुर्वैदिक कॉलेज परिसर में विशेष व्यसन मुक्ति कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं, संकाय सदस्य, चिकित्सक मौजूद रहे। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सेवाकेंद्र संचालिका बीके स्वाति दीदी थीं, जिन्होंने अपने प्रेरक संबोधन से उपस्थित सभी को व्यसन के दुष्प्रभावों और उससे बचाव के उपायों के प्रति जागरूक किया।
बीके स्वाति दीदी ने कहा कि व्यसन केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य को ही नहीं बल्कि उसके मानसिक संतुलन, आर्थिक स्थिति और सामाजिक प्रतिष्ठा को भी प्रभावित करता है। व्यसन ऐसा दलदल है जिसमें व्यक्ति धीरे-धीरे फंसता चला जाता है और जब तक उसे इसका एहसास होता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। उन्होंने कहा कि व्यसन बिजली की तरह शरीर की समस्त शक्ति और खून को चूस लेता है। धीरे-धीरे यह शरीर, मन और आत्मबल को नष्ट कर देता है और व्यक्ति को निर्बल, परनिर्भर और असहाय बना देता है।
उन्होंने व्यसनग्रस्त लोगों की मानसिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि व्यसनी हमेशा यह सोचता है कि वह जब चाहे तब व्यसन छोड़ सकता है, लेकिन यह सोच एक भ्रम है। व्यसन ऐसा जाल है जो व्यक्ति की इच्छा शक्ति को कमजोर कर देता है और वह चाहकर भी इससे निकल नहीं पाता। इसीलिए जरूरत है कि शुरुआत से ही व्यक्ति व्यसन के झांसे में न आए और अपने जीवन को स्वस्थ, संयमित और सकारात्मक बनाए।
युवाओं को संबोधित करते हुए बीके स्वाति दीदी ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी अक्सर फिल्मी सितारों, क्रिकेटरों और सोशल मीडिया पर दिखने वाले चमकदार चेहरों को अपना आदर्श मानने लगी है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि जिनसे हम प्रभावित हैं, वे अपने निजी जीवन में भी अनुकरणीय हों। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन के सच्चे आदर्श हमारे माता-पिता, शिक्षक और वे लोग होने चाहिए जो हमें नैतिकता, संयम और सच्चाई के संस्कार देते हैं। केवल नाम, शोहरत और ग्लैमर को देखकर किसी को आदर्श नहीं बनाना चाहिए।
दीदी ने कहा कि व्यसनमुक्त जीवन के लिए सबसे प्रभावी साधन है आत्मसाक्षात्कार और राजयोग ध्यान। नियमित ध्यान और सकारात्मक संगति व्यक्ति को आंतरिक शक्ति प्रदान करते हैं, जिससे वह व्यसन जैसी कमजोरियों से स्वतः मुक्त हो सकता है। 
उन्होंने यह भी कहा कि व्यसन केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक चुनौती है। यदि हम चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ियां स्वस्थ और सशक्त बनें तो हमें व्यसन के खिलाफ एकजुट होकर काम करना होगा। विद्यालय, महाविद्यालय, परिवार और समाज—सबको मिलकर नशामुक्त वातावरण तैयार करना होगा।
कार्यक्रम में राजयोग ध्यान का एक संक्षिप्त अभ्यास भी कराया गया, जिसमें उपस्थित सभी ने गहरी शांति और आत्मबल का अनुभव किया। 
कॉलेज प्रशासन ने ब्रह्माकुमारी संस्था का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन युवाओं के चरित्र निर्माण और समाज को स्वस्थ दिशा देने के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। साथ ही आशा व्यक्त की कि इस कार्यक्रम से प्रेरणा लेकर छात्र-छात्राएं, शिक्षकगण और समाज के सभी वर्ग मिलकर व्यसनमुक्त समाज के निर्माण में योगदान देंगे।
ईश्वरीय सेवा में,
बीके स्वाति
राजयोग भवन, बिलासपुर

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