*"नो हेलमेट-नो पेट्रोल लागू करते समय आम जनता की सुविधा और व्यावहारिक चुनौतियों को ध्यान में नहीं रखा गया - डॉ. प्रतीक उमरे*

*"नो हेलमेट-नो पेट्रोल लागू करते समय आम जनता की सुविधा और व्यावहारिक चुनौतियों को ध्यान में नहीं रखा गया - डॉ. प्रतीक उमरे*

*"नो हेलमेट-नो पेट्रोल लागू करते समय आम जनता की सुविधा और व्यावहारिक चुनौतियों को ध्यान में नहीं रखा गया - डॉ. प्रतीक उमरे*
*"नो हेलमेट-नो पेट्रोल लागू करते समय आम जनता की सुविधा और व्यावहारिक चुनौतियों को ध्यान में नहीं रखा गया - डॉ. प्रतीक उमरे*
दुर्ग नगर निगम के पूर्व एल्डरमैन भाजपा नेता डॉ. प्रतीक उमरे ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से दुर्ग जिला प्रशासन द्वारा "नो हेलमेट-नो पेट्रोल" नियम लागू किए जाने पर आम जनता को हो रही परेशानियों पर ध्यानाकर्षण कराते हुए इसे बंद करने का आग्रह किया है।डॉ. प्रतीक उमरे ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा इस नियम को लागू करते समय आम जनता की सुविधा और व्यावहारिक चुनौतियों को ध्यान में नहीं रखा गया।सड़क सुरक्षा एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है,लेकिन इसे लागू करने के लिए संतुलित और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए ताकि नागरिकों को अनावश्यक परेशानी न हो।कई नागरिकों को इस नियम की जानकारी पूरी तरह से नहीं है।ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियानों की कमी के कारण लोग बिना हेलमेट के पेट्रोल पंपों पर पहुंच रहे हैं और उन्हें ईंधन न मिलने पर असुविधा हो रही है।विशेष रूप से,दैनिक मजदूरी करने वाले और कम आय वाले लोग,जो हेलमेट खरीदने में असमर्थ हैं,इस नियम से सबसे अधिक प्रभावित हैं।मेडिकल इमरजेंसी या अन्य आपातकालीन स्थिति में लोगों को पेट्रोल न मिलने से गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।हालांकि नियम में आपातकालीन सेवाओं और धार्मिक पगड़ी पहनने वालों के लिए छूट का प्रावधान है,लेकिन इसका कार्यान्वयन स्पष्ट नहीं है,जिससे पंप कर्मचारियों और ग्राहकों के बीच विवाद की स्थिति बन रही है।नियम के दबाव में कुछ लोग सस्ते और नकली हेलमेट खरीद रहे हैं, जो सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करते।यह न केवल नियम के उद्देश्य को कमजोर करता है,बल्कि दुर्घटनाओं में सिर की चोटों का जोखिम भी बढ़ाता है।"नो हेलमेट-नो पेट्रोल" नियम लागू किए जाने के बाद बहुत से जगह अमानक हेलमेट बिकना शुरू हो गया है।पुलिस की कार्रवाई से बचने एवं पेट्रोल डलाने के लिए चालक आनन-फानन में ऐसे अमानक हेलमेट खरीदकर पहन रहे हैं जो उन्हें गर्दन की बीमारी से पीड़ित भी कर सकता है तथा कोई सुरक्षा भी प्रदान नही कर सकता।पुलिस चेकिंग के नाम पर चालान काटने में व्यस्त है उसका अमानक एवं निम्न स्तर के बिकने वाले हेलमेट की ओर ध्यान ही नहीं है।सस्ते और घटिया हेलमेट लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं।सड़कों के किनारे बिकने वाले ज्यादातर हेलमेट अनसर्टिफाइड हैं।ये हेलमेट किसी भी हादसे में जान बचाने में सक्षम नहीं होते हैं।हेलमेट में आईएसआई मार्क जरूर होना चाहिए।बिना इस मार्क के हेलमेट बेचना अवैध है।उसके बावजूद पुलिस ने अभी तक बिना ISI मार्क वाले हेलमेट बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है।पुलिस ऐसे असुरक्षित हेलमेट की बिक्री पर रोकथाम के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है।इस कारण से प्रदेश में हर दिन बिकने वाले लगभग आधे हेलमेट के असुरक्षित होने का अनुमान है।पूर्व एल्डरमैन डॉ.प्रतीक उमरे ने कहा कि प्रदेश में इस समय धड़ल्ले से जिन हेलमेट की बिक्री सड़को पर व दुकानों पर हो रही है उनमें ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के आईएसआई मानकों पर खरे उतरने वाले हेलमेट काफी कम हैं। इसपर तत्काल कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है न कि नो हेलमेट नो पेट्रोल नियम लागू करने की। इसीलिए इसके तत्काल निरस्त किया जाए।

भवदीय 
डॉ. प्रतीक उमरे 
पूर्व एल्डरमैन 
नगर निगम दुर्ग।

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