सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नेवरा मे विभागीय शिशु वाटिका कार्यशाला का समापन हुआ।

सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नेवरा मे विभागीय शिशु वाटिका कार्यशाला का समापन हुआ।

सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नेवरा मे विभागीय शिशु वाटिका कार्यशाला का समापन हुआ।
तिल्दा नेवरा।
दिलीप वर्मा।

सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नेवरा मे विभागीय शिशु वाटिका कार्यशाला का समापन हुआ। 
इस कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्वलन कर किया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री राम भरोसा सोनी प्रांतीय अध्यक्ष सरस्वती शिक्षा संस्थान छत्तीसगढ़, कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री गोपाल चंद्र अग्रवाल अध्यक्ष विद्यालय समिति, विशेष अतिथि श्री राम कुमार वर्मा प्रांतीय शिशु वाटिका प्रमुख, श्रीमती रानी सौरभ जैन पार्षद वार्ड क्रमांक 12, श्री सौरभ जैन समाजसेवी , फाउंडर मेंबर श्री दिलीप शर्मा, श्री नरेंद्र जैन उपाध्यक्ष, श्री दिलीप वर्मा कोषाध्यक्ष, प्राचार्य श्री वासुदेव साहू, रायपुर विभाग के प्रशिक्षक श्रीमती उर्मिला कश्यप शिशु वाटिका सह प्रांत प्रमुख, श्रीमती रेखा देवी साहू शिशु वाटिका विभाग प्रमुख, श्रीमती हेमा देवांगन शिशु वाटिका रायपुर जिला प्रमुख, श्रीमती रमा वैष्णव शिशु वाटिका बलौदा बाजार जिला उपस्थित रहे। शिशु वाटिका विभाग प्रमुख श्रीमती रेखा साहू ने कार्यक्रम का वृत्त प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला में रायपुर विभाग के नगरी विद्यालय से 40 एवं ग्रामीण ग्राम भारती से 29, 4 प्रशिक्षक कुल 73 दीदीयां सम्मिलित हुई है। इसके पश्चात कक्षा दशम के बहनों द्वारा स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया गया। श्री राम भरोसा सोनी जी ने प्रशिक्षु दीदीयों को संबोधित करते हुए कहा कि यहां के शिशु वाटिका में 12 शैक्षिक आयाम की पूर्ति हो रही है। इस विद्यालय में सभी व्यवस्थाएं हैं। शिशु वाटिका का बहुत ही अधिक महत्व है। शिशु वाटिका का काम बहुत बड़ा काम है और यह कार्य कठिन कार्य है। उन्होंने आगे कहा कि 1952 में विद्या भारती की ने रखी गई। विद्या भारती पूरे देश में शिक्षा देने का कार्य कर रही है। यह हमारे देश में चलने वाला यज्ञ है। दीदीयों को संबोधित करते हुए कहा कि आपका काम शिशु में बुद्धि का विकास करना है। आप बच्चों को धीरे-धीरे संस्कार देते हैं। बच्चे आज माता-पिता की बात नहीं मानता है। बच्चों को जब तक संस्कार नहीं देंगे ,वह बात नहीं मानेगा। माता पहले संस्कार देती है फिर शिक्षक संस्कार देते हैं। शिक्षक बच्चों को ध्यान में रखकर सीखते हैं। बच्चों को सीखने के लिए दीदीयों को बच्चा बनना पड़ता है। बच्चों को भगवान का रूप मान कर उनका लालन-पालन करते हैं। उसे संस्कार देते हैं जो आगे चलकर देश की सेवा करता है। आज बस्तर के आदिवासी बच्चे भी पढ़ना चाहते हैं। हमारे संगठन द्वारा उन बच्चों को भी पढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। एक बार बच्चों को जो संस्कार मिल जाता है उसे वह कभी नहीं भूलता है। उन्होंने आगे कहा कि हमें स्वदेशी अपनाना चाहिए। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना चाहिए। इस अवसर पर श्रीमती रानी सौरभ जैन ने विद्यालय को धन्यवाद देते हुए दीदीयों से कहा कि आप सभी रचनाकार हैं। बच्चे मां के बाद आप ही के पास आते हैं। आप उन्हें अच्छे संस्कार दीजिए। उन्होंने आगे कहा कि सरस्वती शिशु मंदिर में ही सबसे अच्छे संस्कार मिलता है। श्री गोपाल चंद्र अग्रवाल जी ने सभी का अभिवादन करते हुए कहा कि आप राष्ट्र निर्माण की सीढ़ी पर खड़ी है। आपके द्वारा ही राष्ट्र निर्माण हो रहा है। आप बच्चों के आदर योग्य बनने का प्रयास करें। श्री दिलीप शर्मा ने सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जो हमने इस कार्यशाला में सीखा उसे आगे बढ़ाएं। श्रीमती रानी सौरभ जैन को विद्यालय परिवार की ओर से स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। सभी प्रशिक्षकों को विद्यालय की ओर से भेंट प्रदान किया गया। श्रीमती रानी सौरभ जैन द्वारा सभी प्रशिक्षु दीदीयों को भेंट दी गई। कार्यक्रम के अंत में श्री दिलीप शर्मा ने आए हुए अतिथियों का आभार प्रकट किया।

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