*युवा मुस्लिम कमेटी के जानिब से इमाम हुसैन की याद में शरबत वितरण किया*

*युवा मुस्लिम कमेटी के जानिब से इमाम हुसैन की याद में शरबत वितरण किया*

*युवा मुस्लिम कमेटी के जानिब से इमाम हुसैन की याद में शरबत वितरण किया*
*युवा मुस्लिम कमेटी के जानिब से इमाम हुसैन की याद में शरबत वितरण किया*
दल्ली राजहरा := कई वर्षों से हो रहे न्यू बस स्टैंड दल्ली राजहरा के फवारा चौक मै इमाम हुसैन की शहादत को याद कर युवा मुस्लिम कमेटी दल्ली राजहरा के युवा पीढ़ी ने बस स्टैंड दल्ली राजहरा मै शरबत वितरण किया जिसमें युवा मुस्लिम के प्रमुख अब्दुल सोहेल अयान अहमद शब्बीर कुरैशी शेख साहिल शेख सोहेब अब्दुल फैजान आजाद अली फैजान अंसारी मुशीर अशरफी मुजम्मिल अहमद अब्दुल फरहान आदिल अरमान रज्जू तालिब शोख शेख अदना युवा मुस्लिम कमेटी के कार्यकर्ता ने शरबत वितरण किया व सहयोगी ज़ुबैर अहमद मो रफीक नबी खान जफीर कुरैशी सद्दाम खान एवं नगर पालिका परिषद से नगर पालिका अध्यक्ष तोरण लाल साहू वार्ड नंबर 24 के पार्षद विशाल मोटवानी वार्ड नंबर 23 के पार्षद प्रदीप बाग वार्ड नंबर 21 पार्षद भूपेंद्र श्रीवास भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष महेश पांडे उपस्थित हो करे युवा मुस्लिम कमेटी के सदस्यों को सहन किया 

*नगर पालिका परिषद का मिल युवा मुस्लिम कमेटी के लोगो को सहयोग*

नगर पालिका अध्यक्ष तोरण लाल साहू ने पानी का टैंकर व साफ सफाई करा के युवा मुस्लिम कमेटी को सहयोग किया 

मुहर्रम के पीछे क्या कहानी है?
 



मुहर्रम, इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है, जो शिया मुसलमानों के लिए शोक का समय है। यह इराक के कर्बला में 61 हिजरी (680 ईस्वी) में इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद में मनाया जाता है। इमाम हुसैन, पैगंबर मुहम्मद के नाती थे, और उन्हें अत्याचारी शासक यजीद के खिलाफ लड़ते हुए शहीद कर दिया गया था। 

मुहर्रम के पीछे की कहानी: 
1. कर्बला का युद्ध:
मुहर्रम के महीने में, विशेष रूप से 10वें दिन, जिसे यौमे-ए-अशूरा कहा जाता है, इराक के कर्बला में एक ऐतिहासिक युद्ध हुआ था। 
2. इमाम हुसैन का बलिदान:
इस युद्ध में, इमाम हुसैन, जो अपने परिवार और साथियों के साथ, तत्कालीन शासक यजीद के खिलाफ अन्याय के खिलाफ खड़े थे, शहीद हो गए थे। 
3. अत्याचार के खिलाफ आवाज:
इमाम हुसैन ने यजीद के कुशासन और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई थी, और इस वजह से उन्हें और उनके साथियों को शहीद कर दिया गया था। 
4. शोक और मातम:
मुहर्रम का महीना शिया मुसलमानों के लिए शोक और मातम का महीना होता है, जो इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत को याद करते हैं। 
5. सुन्नी समुदाय में उपवास:
सुन्नी मुसलमान भी मुहर्रम के महीने में उपवास रखते हैं, लेकिन इसे शोक के रूप में नहीं मनाते हैं। 
मुहर्रम का महत्व:
मुहर्रम का पर्व, अन्याय के खिलाफ लड़ने और सत्य के मार्ग पर चलने के महत्व को दर्शाता है। यह इमाम हुसैन के बलिदान और उनके द्वारा दिए गए संदेश को याद करने का समय है। 
मुहर्रम क्यों मनाया जाता है, यह जानने के लिए आप यह वीडियो देख सकते हैं

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