भारतीय मजदूर संघ ने महिला दिवस के रूप में मनाया देवी अहिल्याबाई होल्कर का जन्मदिवस
भारतीय मजदूर संघ जिला बालोद के जिला मंत्री मुश्ताक अहमद ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर पुण्य स्लोका अहिल्याबाई होल्कर
का 300 वां जन्मदिवस महिला दिवस के रूप में मनाया गया कार्यक्रम में भारतीय मजदूर संघ से के संबंद्ध आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ के सदस्यों की उपस्थिति थी।
दिनांक 30-05-2025 को “पुण्यश्लोक” अहिल्याबाई होलकर के जन्मदिवस को पूरे भारतवर्ष में भारतीय मजदूर संघ द्वारा महिला दिवस के रूप में मनाया गया
इसी कड़ी में भारतीय मजदूर संघ जिला बालोद ने बालोद नगर में परोपकारी कुशल प्रशासक, साहस और बुद्धिमत्ता की शप्रतिक अहिल्याबाई होल्कर का जन्मदिन "महिला दिवस" मनाया गया, जिसमें संघ के समस्त पदाधिकारीयों- कार्यकर्ताओं के साथ ही नगर के गणमान्य लोगों की उपस्थिति थी।
सर्वप्रथम पुण्यस्लोक अहिल्याबाई होलकर के तैलचित्र पर माल्यार्पण के पश्चात संघ गीत से कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ, कार्यक्रम का संचालन
करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ की जिल अध्यक्ष आयशा खान ने बताया कि यह बहुत ही सौभाग्य और गर्व की बात
है कि आज देवी अहिल्याबाई होलकर के जन्मदिन को पूरा भारतवर्ष "महिला दिवस " के रूप में मना रहा है यह मातृशक्ति के प्रति हम सब के समर्पण,असीम श्रद्धा व मातृशक्ति नमो नमः भाव को दर्शाता है. कार्यक्रम में उपस्थित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ की प्रदेश महामंत्री श्रीमती माधुरी रथ ने अपने उद्बोधन में कहा कि देवी
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय मजदूर संघ जिला मंत्री मुश्ताक अहमद ने कहा कि जब भी हम "मां" शब्द का उच्चारण करते हैं तो निश्चित
रूप से वह शब्द ध्वनि के माध्यम से निकलता है लेकिन वह हृदय को स्पर्श करता हुआ मस्तिष्क को
झकझोरता हुआ एक सर्वशक्तिमान संरक्षक का भाव मन में लाता हुआ उस शब्द का उच्चारण होता
है, आज हम पूरे भारतवासियों के लिए गर्व का विषय है कि आज अहिल्याबाई के जन्म दिवस को
हम सब महिला दिवस के रूप में मना रहे हैं महारानी अहिल्याबाई को "पुण्य श्लोक" की उपाधि से सम्मानित किया गया था जिसका अर्थ है धर्मि, उन्होंने अपने कार्यकाल में कई धार्मिक स्थलों मंदिरों
घाटों और धर्मशालाओं का निर्माण कराया विशेष कर काशी विश्वनाथ मंदिर और सोमनाथ मंदिर का
पुनरुद्धार कर धर्म के प्रति अपने असीम श्रद्धा और राष्ट्र के प्रति अपने अनंत समर्पण को बताया कि
निश्चित रूप से एक राजा की सीमाएं होती हैं लेकिन राष्ट्र सर्वोपरि के नाते वह अपने राज्य के सीमाओं से हटकर पूरे राष्ट्र का सेवा करती थी.
मुश्ताक अहमद ने बताया कि अहिल्याबाई होलकर का
जीवन सदा महिलाओं के सर्वांगीण उत्थान, उनके शिक्षा, उनके स्वास्थ्य, उनके आर्थिक स्वावलंबन की
दिशा में लगातार सफलता पूर्वक कार्य किया, अपने साहस और दृढ़ संकल्प के साथ आने वाले
चुनौतियों का सामना कर उन्होंने राज्य में शांति और समृद्धि स्थापित करते हुए, सर्वांगीण विकास के
लिए निरंतर कार्य किया तत्कालीन समय में लोग उन्हें देवी का अवतार भी मानते थे. आज भारत की बेटियां चाहे शिक्षा के क्षेत्र में हो चाहे सेवा के क्षेत्र में हो अपना सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए देश के विकास में राष्ट्र के निर्माण में अपना संपूर्ण योगदान कर रही हैं जिसकी बुनियाद
महारानी अहिल्याबाई होलकर के समय से ही पड़ गई थी इस अवसर पर मुश्ताक अहमद ने अपने
बात को आगे बढ़ते हुए कहा कि आज के समय में अहिल्याबाई होलकर के जीवन जो सदा संघर्षों से
भरा रहा लेकिन निरंतर वह अपने राज्य के प्रजा के लिए विपरीत परिस्थितियों होने के बावजूद भी
आत्म प्रतिष्ठा के झूठे मोह का त्याग कर सदा न्याय करने का प्रयत्न करते हुए अपना जीवन प्रजा को
अपना परिवार, अपनी संतान अपना सब कुछ मानते हुए उन्होंने धर्मपूर्वक जीवन व्यतीत किया. अपने जीवन काल में उन्होंने अपने राज्य की
सीमाओं से बाहर जाकर घाट बनवाए, कुआं और बावड़ियों का निर्माण करवाया, मार्ग बनवाए, कोई
भूखा ना रहे इसलिए अनेक अन्य क्षेत्र खोलें प्यासों के लिए प्याऊ बनवाए, मंदिरों में विद्वानों की
नियुक्ति शास्त्रों के मनन चिंतन और प्रवचन हेतु की, आज हम सबको उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए
उनका अनुसरण करना चाहिए जिससे सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया की भावना निरंतर प्रबल
होती रहे.आज के संगोष्ठि कार्यक्रम में संघ से श्री आश पटेल, श्रीमती संगीता कुमुदिनी, श्रीमती रेणुका रामेश्वरी, श्रीमती अनिता निशा, श्रीमती दुलेशवरी गीता, श्रीमती देनू परिहार, श्रीमती कुमारी साहू एवं अन्य कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों की उपस्थिति थी