सिरगिट्टी को बिलासपुर नगर निगम से पृथक कर पालिका बनाए जाने की मांग नवयुवक संघर्ष समिति द्वारा
सिरगिट्टी, बिलासपुर : बिलासपुर नगर निगम से पृथक कर सिरगिट्टी क्षेत्र को स्वतंत्र नगरपालिका बनाए जाने की मांग को लेकर नवयुवक संघर्ष समिति एवं क्षेत्र के गणमान्य नागरिकों ने आज एक संयुक्त रूप से आवाज़ उठाई। पूर्ववर्ती सरकार द्वारा नगर पंचायत सिरगिट्टी को बिना आम जनो के मत के बिलासपुर नगर निगम से जोड़ा गया जिससे क्षेत्रीय विकास अवरुद्ध हो गया व जनता विभिन्न टैक्स के बोझ से परेशान होने से निगम आयुक्त के नाम सुशासन तिहार समाधान शिविर में अपर आयुक्त को जोन कमिश्नर प्रवेश कश्यप की उपस्थिति में ज्ञापन सौपा गया। इस अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ नेतागण मनोज दुबे, दिनेश कौशिक,बलराम देवांगन, सुंदर सिंह, विजय सिंह मरावी,संजय सिंह,नवयुवक संघर्ष समिति से द्रोण सोनकलिहारी, सुनील सिंह,लक्की दुबे,पप्पू निर्मलकर, राकेश सिंह,सूर्यकांत मिश्रा,नानू यादव,सुरेंद्र नायक, दीपक विश्वकर्मा,आंनद श्रीवास,लव मानिकपूरी,विकास ध्रुव,हरीश यादव, ज्योत सिंह,अनिल कोरी, सन्नी कौशिक सम्मिलित रहे।
सिरगिट्टी नगर का वर्तमान प्रशासनिक ढांचा नगर निगम के अंतर्गत आता है, व्यावहारिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो क्षेत्र की जनसंख्या,भौगोलिक क्षेत्रफल, तथा राजस्व स्रोत नगर पालिका के मानकों के अनुकूल वर्तमान में नगर निगम के अंतर्गत प्रशासनिक व्यय अधिक हैं एवं योजनाओं के क्रियान्वयन में स्थानीय आवश्यकताओं की उपेक्षा हो रही है,नगर को नगर पालिका का दर्जा प्रदान किया जाता है तो प्रशासनिक प्रक्रिया सरल होगी,आम जनता को योजनाओं का लाभ शीघ्रता से प्राप्त हो सकेगा एवं निगमिय टैक्स से राहत मिलने के आसार है।
वरिष्ठ भाजपा नेता मनोज दुबे का कहना है कि पालिका की स्थिति में छोटा क्षेत्र होने से प्रशासनिक नियंत्रण स्थानीय जनता के हाथ मे होगा,छोटे क्षेत्र में समस्याओं पर तत्काल निर्णय और क्रियान्वयन संभव होगा,नागरिकों और जनप्रतिनिधियों के बीच सीधा संवाद और सहभागिता होगी, क्षेत्रीय विकास योजनायें स्थानीय जरुरतों के आधार पर बनेगी नागरिकों की शिकायतों और सुझावों पर शीघ्र कार्यवाही हो सकेगी।
नवयुवक संघर्ष समिति के संयोजक द्रोण सोनकलिहारी ने निगम में जुड़ने से क्षेत्र को होने वाले नुकसान पर कहा कि बिलासपुर नगर निगम बड़े क्षेत्रों को कवर करने के कारण छोटे क्षेत्रो की समस्याओं पर ध्यान नही दिया जाता। फैसले बड़े अधिकारियों द्वारा लिए जाते है,जिससे स्थानीय जरूरतें नजरअंदाज होती है। साफ सफाई, जल निकासी,सड़क निर्माण मरम्मत कार्य एवं क्षेत्र में नव जनसुविधाओं के विस्तार में बाधा, जनता के पहुँच से जोन कार्यालय की दूरी, सबसे अधिक परेशानी बजट तो शहर का बड़ा होता है लेकिन उसका बड़ा हिस्सा मुख्य शहर पर ही खर्च होता है, उपनगरों को अपेक्षित हिस्सेदारी नही मिलती। क्षेत्र के आम जनता द्वारा विभिन्न कर माध्यमो से जो राशि क्षेत्र से जाती हैं उसका उचित लाभ क्षेत्र के आम जनो को ही नही मिलता।