अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर में पदार्पण के प्रथम वर्ष पूर्ण होने पर मधुर साहित्य परिषद जिला बालोद द्वारा श्री राम मंदिर डौडी लोहारा में विचार गोष्ठी एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया
अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर में पदार्पण के प्रथम वर्ष पूर्ण होने पर मधुर साहित्य परिषद जिला बालोद द्वारा श्री राम मंदिर डौडी लोहारा में विचार गोष्ठी एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया
कार्यक्रम की शुरुआत प्रभु श्री रामचंद्र जी के स्तुति से हुई भगवान श्री रामचंद्र जी की पूजा अर्चना पश्चात डॉ.अशोक आकाश अध्यक्ष मधुर साहित्य परिषद जिला बालोद व समन्वयक छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग जिला बालोद की अध्यक्षता में कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
डॉ अशोक आकाश ने कहा पीढ़ियों के लंबे संघर्ष पश्चात श्री रामचन्द्र जी महराज अपने भव्य मंदिर में विराजमान हुए । यह सनातन धर्म की बड़ी जीत है, सदियों के संघर्ष पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर ने हिन्दुओं की आस्था पर मुहर लगाकर उनमें उत्साह का संचार कर दिया यह सब प्रभु श्रीराम भक्तों के कड़े़ संघर्ष का परिणाम है। 496 वर्ष के संघर्ष के पश्चात श्री रामचंद्र जी को सुखद धाम मिल गया। इस शुभ अवसर पर अयोध्या के पावन भूमि पर श्री राम काव्य पाठ में सम्मिलित होना मेरे लिए बहुत सुखद पल था।
मधुर साहित्य परिषद् जिला बालोद के महासचिव देव जोशी गुलाब ने कहा कि भगवान श्री राम से हमने जीवन जीने की कला सीखी, उन्होंने हमें रहना कैसे हैं?जीना कैसे हैं? लोक व्यवहार कैसे करना चाहिए, भाई कैसा होना चाहिए, पिता, पुत्र पत्नी कैसी होनी चाहिए। यहॉं तक कि दुश्मन कैसा होना चाहिए।
इसी क्रम में देवनारायण नगरिया ने कहा हमारी आने वाली पीढ़ी के लिये बड़ा संदेश है, अब हमें सतर्कतापूर्वक अपनी मातृभूमि एवं अपने सनातन धर्म की रक्षा हेतु सतत सक्रिय रहने की जरूरत है।
तोषण चुरेंद्र ने कहा नर लीला करते प्रभु श्री राम ने त्रेता युग में जितना संघर्ष किया उससे ज्यादा और कठिन संघर्ष उन्होंने जन्मभूमि एवं भव्य मंदिर बनने तक का सफर रहा।
हर्षा देवांगन ने अपने विचार रखते हुए कहा धर्म सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी के आदर्शों से भारतवासी निश्चित रूप से अनुकरण कर अपना वजूद अपनी पहचान कर एक नया आयाम तय करेंगे।नई पीढ़ियाँ मंदिर के संघर्षों की कहानी से प्रेरित होते रहेंगे।
संचालन कर रहे कवि वीरेंद्र अजनबी ने कहा महाराज विक्रमादित्य को महाकाल स्वप्न में आकर श्री राम मंदिर निर्माण करने की बात की, विक्रमादित्य ने अयोध्या की खोज की जो पूरा जंगल में तब्दील था। विक्रमादित्य द्वारा अयोध्या नगरी बसाई गई। भव्य मंदिर निर्माण कराया गया जिसे 1527 में बाबर हिंदुस्तान पहुंच कर तुड़वा दिया, और वहॉं पर मंदिर की जगह बाबरी मस्जिद बनवा दिया जिसे भव्य रथयात्रा द्वारा लालकृष्ण अडवानी,अटल बिहारी वाजपेयी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा के साथ लाखों की संख्या में कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद तोड़कर भगवान श्रीराम के विग्रह निकाल उसे एक छोटी झोपड़ी में पूजन हेतु रखा गया। साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने के डर से भगवान श्रीराम जन्मभूमि का विवाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले बाद आज पुनः राम मंदिर हमारे देश के लिए मुख्य आस्था का केंद्र के रूप में स्थापित हो गया है।
कार्यक्रम में साहित्यकारों ने सनातन धर्म के प्रति आस्था प्रकट करती कविता का पाठ कर हिन्दू जागरण का संदेश देती काव्य प्रस्तुतियॉं दी।
सर्वप्रथम डॉ.अशोक आकाश ने श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में पिछले साल पढ़ी कविता से काव्य पाठ का शुभारम्भ किया, उन्होने कहा -
आस्था उमड़ी भारत में, मंदिर में राम विराजे हैं।
जन-जन आतुर स्वागत में, मंदिर में राम विराजे हैं।।
तुलसी वाल्मीकि के नायक, राम भक्त का धीर देखो।
पण्डाल में जिनके स्वामी थे, उन भक्तों की पीर देखो।।
बाबरी ढहाने वाले लाखों, राम भक्त रणवीर देखो।
हर हिन्दू के दिल में बसे हैं, राम सीना चीर देखो।।
सरयू मुस्काती गाती मंदिर में राम विराजे हैं।
जन जन आतुर स्वागत में, मंदिर में राम विराजे हैं।।
कविता में अशोक आकाश ने श्री राम मंदिर निर्माण के संघर्षों की कहानी को व्यक्त किया।
देव जोशी गुलाब ने काव्य पाठ करते कहा -
सबके तन मन को जो मेहरबान बना देते हैं ।
वे तो अनजान से भी पहचान बना देते हैं ।
बडी़ फुर्सत से संवारा है कुदरत ने जिन्हें।
उनवान को वो जीने का सामान बना देते हैं ।
कवि तोषण चुरेंद्र ने कहा- वनवासी होंगे रे राजा, दाई ददा के बात मान के।
भाई साथी होगे रे राजा, दाई ददा के बात मान के।।
देवनारायण नगरिहा ने अपनी कविताओं में श्री रामचंद्र जी का चरित्र चित्रण किया। हर्षा देवांगन ने अपनी रचना में कहा --
राम नाम है राम रमैया,
भव पार लगा दो नैया।
भले बुरे का भेद करा दो,
भव पार लगा दो खेवईया। प्रस्तुत की।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे कवि वीरेंद्र अजनबी ने अपनी काव्य रचना में कहा --
रघुकुल तिलक रघुकुल मणि, रघुनायक रघुवीर है।
जिनके पद कमल सेवा से, धन्य हुआ महावीर है।।
उनकी पावन लीला सुन गुन, महिमा नर अवतार की।
गुजरे हैं मुश्किल से देखो, घड़ियां इंतजार की।।
की प्रस्तुति दी ।
श्री राम मंदिर स्थापना दिवस पर निर्मल पांडे की उपस्थिति हुई उन्होंने कहा आप जैसे साहित्यकार इस संसार को नई दिशा और अच्छे विचार प्रदान करते हैं।
उक्त कार्यक्रम में डौड़ी लोहारा नगर के काव्य रसिक श्रोता उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन वीरेंद्र अजनबी द्वारा किया गया तथा कार्यक्रम के समापन की घोषणा देव गुलाब जोशी के द्वारा किया गया।