बाघ जंगल की शान ही नहीं हमारा अस्तित्व भी है : प्रशांत कुमार क्षीरसागर
29 जुलाई विश्व बाघ दिवस विशेष पर्यावरण पशु प्रेमी प्रशांत कुमार क्षीरसागर बाघ जंगल की शान ही नहीं हमारा अस्तित्व भी है अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस प्रशांत कुमार क्षीरसागर विश्व बाघ दिवस बाग संरक्षण ना इन राज सि जानवरों के समक्ष आने वाले तात्कालिक खतरों जैसे आवास हनी अवैध शिकार मानव वन्य जीवन संघर्ष के बारे में जागरूकता बढ़ाना प्रचार प्रसार करना है पर्यावरण प्रकृति प्रेमी पशु प्रेमी प्रशांत कुमार क्षीरसागरबाघ संरक्षण के महत्व को उजागर करने के लिए हर साल 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की घोषणा 29 जुलाई, 2010 को सेंट पीटर्सबर्ग में की गई थी, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में बाघ संरक्षण और प्रबंधन को बढ़ाने के लिए एक ठोस प्रयास में सभी बाघ रेंज वाले देशों को एकजुट करना था।दुनिया के 70% से अधिक बाघ भारत में ही पाए जाते हैं। वहीं, 2018 की गणना के अनुसार देश में भी सर्वाधिक बाघ मध्यप्रदेश में पाए जाते हैं। इसे टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है।
भारत से अलग बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम में बाघ पाए जाते हैं।
एक वयस्क नर बाघ का औसतन वजन 400 से 550 पाउंड यानी 180 से 250 किलोग्राम होता है। वहीं, मादा वाघ का वजन 265 से 370 पाउंड यानी 120 से 170 किलोग्राम के बीच होता है।
बाघ के बच्चे अंधे पैदा होते हैं और उनकी आंखें जन्म के 6-12 दिनों के बीच खुलती हैं। इसके बाद कुछ हफ्तों तक उन्हें धुंधला दिखाई देता है और फिर जाकर चीजें साफ नजर आती हैं। इतना ही नहीं, बाघ नीली आंखों के साथ पैदा होते हैं जो बड़े होने पर सुनहरे रंग में बदल जाती हैं।
एक बाघ की दहाड़ लगभग तीन किमी दूर तक सुनी जा सकती है।
एक युवा बाघ 65 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है।
बाघ अगर भरपेट खाना खा ले, तो वह 30 घंटों तक सो सकता है।
इतना ही नहीं, कहा जाता है कि बाघ अन्य जानवरों की आवाज की नकल कर सकते हैं, जिससे उनके लिए जानवरों का शिकार करना आसान हो जाता है।बात करें इस साल इस दिवस की थीम की तो यह भी है कि बाघ संरक्षण और इन राजसी जानवरों के समक्ष आने वाले तात्कालिक खतरों, जैसे कि आवास की हानि, अवैध शिकार और मानव-वन्यजीव संघर्ष के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।