अक्षय तृतीया पर्व को बोकरामुडा खुर्द में मनाया गया

अक्षय तृतीया पर्व को बोकरामुडा खुर्द में मनाया गया

अक्षय तृतीया पर्व को बोकरामुडा खुर्द में मनाया गया

अक्षय तृतीया पर्व को बोकरामुडा खुर्द में मनाया गया


बागबाहरा: शुक्रवार को ग्राम बोकरामुडा खुर्द में ग्रामीणों ने अक्षय तृतीया पर्व त्यौहार को मनाया । हिंदू धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व होता है।

जहां बोकरामुडा खुर्द में इस त्योहार को गांव के सभी किसान सितला माता मंदिर में उपस्थित हो कर पुंजा करते हैं । तब प्रचात गांव के मुख्य पुजारी के हाथों से प्रसाद के रुप में धान का बीज 100 ग्राम दिया जाता है। ताकी किसान लेकर उसी दिन से खेती का कार्य शुरू करते हैं।

अक्षय तृतीया को (अक्ती) त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है।

छत्तीसगढ़ में अक्ती त्यौहार ग्रामीण में रहने वाले किसान बहुत ही धूम धाम से मनाते है.

(पुजारी ब्रह्मदेव मांझी ने बताया कि) अक्षय तृतीया को अक्ती त्यौहार के नाम से जानते है. अक्ती त्यौहार हर साल बैशाख मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है. इस त्यौहार को किसान तो बहुत ही उत्सव के साथ मनाते है. छत्तीसगढ़ के सभी ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले अक्ती तिहार के दिन सुबह में उठकर पोखरी या तालाब में असनान करके उसमे से एक लोटा जल लेकर सूर्य भगवन को जल दिया जाता है. उसके बाद पोखरी से जल लेकर फूल अक्षत डाल कर अपनी देवी दवता की विधि अनुशार पूजन किया जाता है. अपनी घर के देवी देवता और गाव के मन्दिर में उस जल से पूजन किया जाता है.अपने देवी देवता से हाथ जोड़कर प्रथना करते है की हमारे परिवार पर अपना आशीर्वाद बनाये रखना हमारी परिवार की रक्षा करना. अपने घर के आस पास के पेड़ और पौधा के उपर उस जल को डाला जाता है . नीम , बर , पीपल , आम की पूजा किया जाता है. आक्ती तिहार के दिन सभी लोग चावल, गेहू और बाजारा की दान करते है. इस दिन किसान अपने खेतो में अनेक प्रकार का बिज रोपते है और अपने देवी देवता से विनती करते है की हम जो भी फसल उगाये वह फसल अच्छी हो.

छत्तीसगढ़ में अक्ती त्यौहार को हर साल बैशाख मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है। अक्ती त्यौहार के दिन छत्तीसगढ़ में पुतला और पुतली यानि कि गुडा और गुड़िया का नकली विवाह करवाने का परम्परा है जो अभी तक छत्तीसगढ़ के सभी निवासी मनाते हैं।

अक्ती तिहार के दिन ही कोइ भी शुभ काम किया जाता है बिना महूर्त पंडित से दिखाए सगाई हो सकती है , शादी हो सकती है , गृह प्रवेश कर सकते है, मंगल कार्य कर सकते है. अगर घर में किसी की शादी नही होती है तो अक्ती तिहार के दिन पुतला और पुतली का नकली विवाह करते है और इस नकली विवाह का बहुत सारी खुशिया मानते है. बच्चे से लेकर बड़े तक सभी मिलकर गुडा और गुडिया का नकली विवाह पूरी अच्छी तरह से करते है . इस नकली विवाह में सब गाते है नाचते है. जैसे एक घर का विवाह होता है वैसे एक गुडा और गुडिया का विवाह करते है और खुशिया मनाते है.।

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