हैन्ड्स ग्रुप द्वारा अर्चना जी का सफल नेत्रदान एवं देहदान करवाया गया, जोकि नेत्रहीनों एवं मेडिकल विद्यार्थियों के लिए अति सहायक सिद्ध होगा

हैन्ड्स ग्रुप द्वारा अर्चना जी का सफल नेत्रदान एवं देहदान करवाया गया, जोकि नेत्रहीनों एवं मेडिकल विद्यार्थियों के लिए अति सहायक सिद्ध होगा

हैन्ड्स ग्रुप द्वारा अर्चना जी का सफल नेत्रदान एवं देहदान करवाया गया, जोकि नेत्रहीनों एवं मेडिकल विद्यार्थियों के लिए अति सहायक सिद्ध होगा

हैन्ड्स ग्रुप द्वारा अर्चना जी का सफल नेत्रदान एवं देहदान करवाया गया, जोकि नेत्रहीनों एवं मेडिकल विद्यार्थियों के लिए अति सहायक सिद्ध होगा

देहदान की जागरूकता को बढ़ाने के लिए *हैंड्स ग्रुप* कई वर्षों से प्रयास कर रहा है.. 
जिससे कई वर्ग के लोग प्रभावित एवं प्रोत्साहित भी हुए हैं..
जिसका एक उदाहरण है स्वर्गीय श्रीमती अर्चना किबरिया जी
आज भी हमारे समाज में देहदान को लेकर कई भ्रांतियां एवं अवधारणाएं हैं.. इन्हीं अवधारणाओं को तोड़ने के लिए लोगों को आगे आना होगा,यही नेक काम विद्या नगर बिलासपुर निवासी *स्वर्गीय श्रीमती अर्चना किबरिया जी* ने किया..
22 अगस्त को विद्या नगर निवासी श्रीमती अर्चना किबरिया(77 वर्ष) का निधन हो गया।
उनके पुत्र राहुल बिस्वास जी ने हेंड्स ग्रुप से संपर्क किया और बताया कि उनकी माताजी की इच्छा यही थी कि उनके मरणोपरांत उनके नेत्रों एवं देह का दान किया जाए।
नेत्रदान हेतु हैंड्स ग्रुप की टीम से संरक्षक अभिषेक विधानि ने सिम्स के डॉ राहुल एंड टीम को लेकर अर्चना जी के निवास स्थल पर पहुंचे एवं सफल नेत्रदान करवाया।
साथ ही साथ हैंड्स ग्रुप ने अर्चना जी की इच्छा अनुसार उनके देहदान की प्रक्रिया हेतु सिम्स अधिकारियों से समन्वय बनाकर देहदान की प्रक्रिया को संपन्न कराया।
अर्चना जी द्वारा दान किए नेत्रों से कोई दो नेत्रहीनो को नेत्र ज्योति प्राप्त होगी एवं वह इस खूबसूरत दुनिया को देख सकेंगे।
अर्चना जी द्वारा दान किए गए देह से मेडिकल विद्यार्थियों को काफी सहायता होगी, देहदान की आवश्यकता मेडिकल विद्यार्थियों को देह विज्ञान(एनाटॉमी)की पढ़ाई में मदद के लिए पड़ती है, क्योंकि देहदान किए हुए शरीर का मेडिकल के छात्र परीक्षण करते हैं,शरीर के आंतरिक भागों के कार्य सहित हर अंग में होने वाले मर्ज का पता लगाने के साथ उसका इलाज ढूंढा जाता है, बेहतर इलाज के लिए नई दवाओं का प्रयोग भी पार्थिव शरीर पर होता है। साथ ही ऑपरेशन की नई विधि का प्रयोग भी इसी के जरिए होता है।
अधिकतर मेडिकल कॉलेजों में पर्याप्त देह उपलब्ध नहीं हो पाते हैं जिसके कारण स्थिति यह है कि जहां 1 देह के ऊपर 10 मेडिकल के विद्यार्थियों को परीक्षण करना चाहिए वहां उनकी संख्या 30 विद्यार्थी प्रति देह है।
अर्चना जी द्वारा उनके देहदान से मेडिकल विद्यार्थियों की यह कमी पूरी होगी ।
हैन्डस ग्रुप की टीम अर्चना जी एवं उनके पूरे परिवार का इस पुनीत कार्य हेतु साधुवाद एवं नमन करती है 


श्री विजय दुसेजा जी की खबर 

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