सबसे बड़ा धन स्वास्थ्य है मनोज अहूजा
सभी लोगों का आहर द्वारा उपचार इस विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन श्री लक्ष्मी नारायण जी के द्वारा किया गया
स्थान कल्याण आश्रम वृद्धा आश्रम संत विनोबा भावे शिक्षा केंद्र विद्यालय के पीछे जोकी मार्ग मंगला बिलासपुर
कार्यक्रम 12:00 बजे आरंभ हुआ 2:00 बजे समापन हुआ कार्यक्रम की शुरुआत भगवान से से प्रार्थना करके की गई
कार्यक्रम में तीन वक्ता थे प्रथम वक्ता श्री मनोज आहूजा बिलासपुर से द्वितीय वक्ता श्री लक्ष्मीनारायण बिलासपुर से
और तृतीय वक्ता श्री जल फल जी उड़ीसा से पधारे थे
प्रवक्ता मनोज आहूजा जी परिचर्चा की शुरुआत की बताया कि सबसे बड़ा धन इंसान का स्वास्थ्य है दूसरा धर्म हमारी बुद्धि विवेक है और तीसरा धन हमारे संस्कारी बच्चे हैं और चौथा धन घर में शांति है ये चार धन अगर आपके पास है तो स्थूल धन स्वत आएगा उसको कोई रोक नहीं सकता यदि अवस्था अच्छी है तो व्यवस्था स्वस्थ अच्छी होगी
यदि मन और तन दोनों स्वस्थ हैं तो दोनों का बैलेंस कहा जाएगा तभी हम खुशी का अनुभव कर सकते हैं और दूसरों को भी खुशी दे सकते हैं या खुशी का अनुभव करा सकते हैं अब तन और मन दोनों स्वस्थ कैसे रहे इसको हम सभी भूल गए हैं हमारे बड़े भूल गए तो बच्चे भी भूल गए यदि मन स्वस्थ है सिर्फ पोस्टिक विचारों से भरा है तो उसका प्रभाव तन पर पड़ता है और तन के लिए जो आहार ले रहे हैं वह पौष्टिक तत्वों से भरपूर है तो वह आज हमारे तन के साथ मन का भी पोषण करता है हम सब ऊर्जा हैं और ऊर्जा का एक सिद्धांत है जो हम सोचते हैं चाहे अच्छा वह बुरा हो वाइब्रेट होगा ही हमारा वह दूसरों का औरों का निर्माण करता जाएगा और दूसरे हमारे आसपास के लोग जो भी सोचेंगे उसका प्रभाव भी सभी मनुष्य व जड़ चेतन समाएगा जरूर और आज हम सब निगेटिव सोचकर सभी एक दूसरे का औरा खराब करते जा रहे हैं कोई भी चीज समझ से ही ठीक की जा सकती है और यदि हम इन बातों को समझ जाएंगे तो हम इस तरफ स्वमय में काम करेंगे तो हम स्वस्थ होते जाएंगे तन और मन दोनों से यह निश्चित है एक चीज और समझने की है कि हमारी सब की आत्मा को सदा सुख चाहिए तो आत्मा का नेचर है हमारी आत्मा गंदगी से भी सुख उठाने लगती है जब गंदगी से उठाती है तो सुख मिलता फिर जब वो सुख खत्म होता तो फिर दुखी हो जाते हैं सदा सुख तो पवित्र ता में है और एक परमात्मा में है जब हम उस की छत्रछाया में आते हैं तो सदा के लिए सुखी होते हैं
मन को ठीक करने का उपाय
मन को सदा सकारात्मक चिंतन दे सदा स्वमय को मन को देखे कि वह क्या देख रहा है सोच रहा है अपने मन को समझाते रहे जैसा कि हम अपने बच्चे को गलत सोच पर या गलती मैं समझाते हैं रोज 7:00 मिनट ओम का उच्चारण करें सुबह खाली पेट नहा धोकर और 3 मिनट ब्रामणी करें
मन को श्रेष्ठ कार्यों में व्यस्त रखें आप जिस भी आध्यात्मिक संस्था से जुड़े हैं तो उनकी अच्छी बातों का चिंतन करें
ब्रह्माकुमारी मैं परमात्मा की मदद है क्योंकि परमात्मा शिव का एक शाश्वत ऊर्जा से यह कार्य चल रहा है जिसमें समय को कैसे बदल बदलें इसकी ही पूरी पढ़ाई और साथ परमात्मा की मदद का भी आपको अनुभव होगा जैसे मैंने किया
इस संसार के अनमोल निधि हैं इस संसार आपके लिए बना है और आपकी उर्जा से चलता है जब हम उसकी ऊर्जा को परमात्मा से जोड़ कर चलेंगे तो हमें भी परमात्मा की सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव एवं परमात्मा प्राप्ति का अनुभव होगा
इसी प्रकार द्वितीय वक्ता लक्ष्मी नारायण जी व तीसरा वक्ता उड़ीसा से पधारे जल फल जी ने लोगों के खान पान के बारे में समझाया कि करोना काल में जिन लोगों की अकाल मृत्यु हुई जिन लोगों को नई बीमारियां अपनी ओर खींच रही है इसका कारण है हमारा खान-पान अगर हमारा खान-पान सही होगा तो हमारा शरीर भी स्वस्थ रहेगा पहले जमाने के हमारे जो बुजुर्ग हैं उनको देखिए आज भी वह कितने स्वस्थ रहते है व लंबी उम्र तक जीते हैं
इसका कारण है कि पहले के समय में हमारे जो बुजुर्ग हैं खानपान में खास ध्यान देते थे वह पोस्टिक आहार का सेवन करते थे शुद्ध शाकाहार का सेवन करते थे एवं जिन चीजों में विटामिन होता है उनका सेवन करते थे पर आज मनुष्य थोड़े से लाभ के लिए लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है वह जिस तरह रासायनिक दवाओं का फलों में पेड़ों में खाने के सब्जियों में अनाजों में उपयोग किया जा रहा है उसका भी असर हमारे शरीर पर पड़ता है इसके लिए जरूरी है शुद्ध व पौष्टिक आहार का सेवन करें वह उसे पहले जैसे लकड़ी के चूल्हे में मिट्टी के बर्तन में पकाए
आहार खाते समय भोजन ग्रहण करते समय मन के विचार अच्छे हो और मन शांत हो तभी भोजन ग्रहण करना चाहिए
जैसे सफेदी समुद्री नमक की जगह सेंधा नमक
चीनी शक्कर की जगह पर मिश्री और गुड़
तेल की जगह कच्ची घानी से निकला तेल यहां घर का शुद घी वह भी गाय का
अल्मुनियम के बर्तन की जगह स्टील का बर्तन लोहे के बर्तन कढ़ाई बर्तन की जगह
पीतल के बर्तन या मिट्टी के बर्तन ही यूज़ करें
गेहूं व चावल को बिल्कुल बंद कर देना चाहिए
इसकी जगह पर सिर्फ मिले श्रीधान्य मिलेट ही खाना चाहिए
करीब 100 साल पहले हमारे हिंदुस्तान में सिर्फ यही मिलेट खाए जाते थे और हम लोग स्वस्थ रहते थे लेकिन जब से अंग्रेज आए तो उन्होंने हमारे पोस्टिक अनाज को बंद कराया कारण हम शरीर से बीमार हो जाए कमजोर हो जाए तो वह हमारे ऊपर लगातार शासन कर सके और हमे भी गुलाम बना सके
श्री खादर वाली जी ने भी अभी चंद साल पहले मिलेट के बारे में बताना चालू किया उनके द्वारा अध्ययन किया बताया कि हमारे पुराने अनाज में कुछ अनाज इतने संतुलित हैं कि कोई अगर इसको खाएगा तो उसकी सारी बीमारियां ठीक हो जाएगी जिनका उन्होंने नाम दिया श्रीधान्य मिलेट इसमें 5 मिलेट है जो कि सारी बीमारी को ठीक करने की ताकत रखते हैं मैं पिछले 4 महीनों से इस्तेमाल कर रहा हूं बहुत फायदा हुआ
भोजन के उपरांत मीठा खाने का मन हो तो गुण व खुरमा डेट्स खाएं
दिन में खाने के बाद थोड़ी अजवाइन जरूर खानी चाहिए छुटकी काले नमक के साथ
सुबह खाली पेट आपको पेठे का जूस या हरी पत्तियों का जूस लेना चाहिए इसके के बाद नाश्ते में सिर्फ फल वह भी मौसमी फल पेट भर कर खाए दिन के भोजन मिलट की रोटी सब्जी दाल और दही के साथ ले
रात में मिलेट की खिचड़ी ले किसी सब्जी के साथ ले सकते हैं दिन और रात के भोजन से पहले सलाद और लेना है खाने के उपरांत पानी सिर्फ एक कप सिर्फ गला साफ करने के लिए बाकी पानी 45 मिनट के बाद पिये
रात में खाना खाने के बाद कम से कम 20 मिनट आराम से टहलना है इसके बाद सबको धन्यवाद देते हुवे परमात्मा को धन्यवाद दे ओर सो जाए निश्चित आपको फायदा होता जाएगा यदि इस
प्लान को आप पूरा करते हैं तो आपको इसका फायदा 15 दिन में नजर आएगा और यदि इस को लगातार करते हैं तो 3 से 6 माह में आप के रोग समाप्त हो जाएंगे
कार्यक्रम के अंत में रेखा आहूजा ने भी लोगों को ज्ञानवर्धक जानकारियां दी
इस परिचर्चा से अवश्य ही कई लोगों को लाभ होगा जो इस पर अमल करेंगे हमें भी अब अपने पुराने जमाने के जो खानपान थे वो वैसा ही फिर से अपनाना चाहिए तभी स्वस्थ मन स्वस्थ शरीर और स्वस्थ भारत बनेगा
श्री विजय दुसेजा जी की खबर