बच्चों द्वारा किये गए कार्यों की तारीफ करें :डां अभिषेक कलवानी

बच्चों द्वारा किये गए कार्यों की तारीफ करें :डां अभिषेक कलवानी

बच्चों द्वारा किये गए कार्यों की तारीफ  करें :डां अभिषेक कलवानी

बच्चों द्वारा किये गए कार्यों की तारीफ  करें :डां अभिषेक कलवानी


बिलासपुर.श्री झूलेलाल चालिहा  महोत्सव के  11 वे दिवस श्री  झूलेलाल धूनी का आयोजन कलवानी परिवार के द्वारा किया गया
कार्यक्रम के प्रारंभ मे भगवान झूलेलाल, बाबा गुरमुख दास जी के चित्र पर  माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित कर किया.
डॉ.रमेश कलवानी ,नानक पंजवानी के परिवार के द्वारा संत लाल साई जी  की का फूल माला से स्वागत किया गया 
,सपना कलवानी व चित्रा  पंजवानी के द्वारा पूज्य माता साहेब एवं भाभी मां का  पुष्पगुच्छ से स्वागत किया गया .इस अवसर पर रवि रुपानी ,अनिल पंजवानी, दीपक अथवानी, वरुण साईं 
नानक पंजवानी, भाई साहब जगदीश जज्ञासी ने भी 
 सुंदर भक्ति भरे भजनो की प्रस्तुति दी

.मेहर कर सबके ऊपर वरुण साईं भगवान झूलेलाल साईं प्यारा...

 
अल्लाह जे  छामे राजी आ 
अल्लाह जे केंसा राजी आ... 


झूलेलाल साईं मुहंजी बेडी़ पार लगायजाए... 


एक योगी दीवाना हूं मैं आपके चरणों का दास हूं मैं...

 साईं   को नचावे साई  के लाडले... 

चलीहा  आया है भगवान झूलेलाल का 

ऐसे कई भक्ति भरे भजन गाये गये जिसे श्रवण कर भक्तजन झूम उठे.
इस अवसर पर बरखा भाभी, मां सपना कलवानी, चित्रा  पंजवानी ने भी अपने मधुर  स्वर में भक्ति भरे भजन गाए.
रामा वैली समिति के बच्चों के द्वारा भक्ति  भरे भजनों पर शानदार नृत्य की प्रस्तुति दी गई. डा.अभिषेक कलवानी के द्वारा बच्चों के बारे में ज्ञान वर्धक बातें बताई गई कि आजकल के बच्चों में संस्कार बहुत कम रह गए हैं इसका कारण हम खुद हैं  उन्होंने एक आपबीती घटना बताइ कि वह किसी काम से रायपुर गए थे वहा एक मंदिर में देखा कि एक वक्त आता है वह भगवान के सामने दूर से ही हाथ जोड़कर ठीक से माथा टेका भी नहीं और चला जाता है जबकि हमें भगवान के सामने आकर दंडवत प्रणाम करना चाहिए जिसे देख कर हमारे बच्चे मे भी संस्कार आए, इसे  फॉलो करें.आजकल मंदिरों में इलेक्ट्रॉनिक ढोल बाजे वाली मशीन लगा दी गई है जब आरती हो बटन चालू करो ऑटोमेटिक घंटी बजेगी, ढोल बजेगा, थाली बजेगी, शंख बजेगा हम सब अपने संस्कृति अपने संस्कारों को भूलते जा रहे हैं सिर्फ पैसे के पीछे भागते जा रहे हैं.

घर में बच्चों को अच्छे संस्कार दें बच्चा अच्छा कार्य करें तो उसकी प्रशंसा करें उसकी तारीफ करें पर उसके कार्यों की करें बच्चे की नहीं बच्चा अगर कोई गलत कार्य करता है तो उसे डांटे व उन्हें बताएं कि उन्होंने गलत कार्य किया है वह उसके गलत कार्यों को समझाएं कि यह कार्य जो तुमने किया है गलत है व सही कार्य क्या है वह समझाएं .बच्चे हो या इंसान हो हमें उसके द्वारा किए गए अच्छे कार्यों की तारीफ करनी चाहिए व उसके द्वारा गलत कार्य किए जाते हैं तो उसकी निंदा करनी चाहिए, लेकिन कार्यों की करें इंसान व बच्चों की नहीं.अच्छे और बुरे कार्य  में क्या  अंतर है यह हमें समझाना चाहिए . 

जिस तरह खेतों में बीज बोया जाता है वह बीज अंकुरित होकर छोटा पौधा बनता है फिर  समय पर पौधा बड़ा होते जाता है वह एक विशाल वृक्ष बन जाता है, वह फिर फल फूल देता है.जैसा बीज होगा वैसा फल मिलेगा उसी तरह बच्चे का मन भी किसान के खेत की तरह होता है उसके मन में जैसा हम बीज  बोएंगे जैसे संस्कार देंगे वैसा बच्चा बड़ा होकर बनेगा अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा बड़ा होकर संस्कारवान, ज्ञानवान, प्रतिभाशाली, गुणकारी बने तो हमे अभी से ही बच्चों के मन में अच्छे संस्कार, अच्छी बातें डालनी चाहिए.सामाजिक कार्यक्रमों में मंदिरों में ले जाना चाहिए जैसे स्कूल में टीचर पाठ पढ़ाती है उसी तरह घरों में भी माता-पिता को अच्छे संस्कार को अच्छी शिक्षा का पाठ बच्चों को पढ़ाना चाहिए
डॉ.रमेश करवानी जी के द्वारा भी ज्ञानवर्धक एक लघु कहानी बताई गई

कि एक  दिन बाजार में 2000 का नोट और ₹2 का सिक्का एक दूसरे से मिले दोनों एक दूसरे का हालचाल पूछने लगे ₹2 के सिक्के ने कहा 2000 के नोट से भाई तुम तो बड़े किस्मत वाले हो तुम्हें बहुत इज्जत मान सम्मान मिलता है लोग तुम्हें बड़े संभाल कर रखते हैं और करोड़पतियों की जेबों में तुम रहते हो तब 2000 के नोट ने कहा भाई मेरा हाल तो तुमसे ज्यादा बुरा है मुझे सब पैसे वाले लोग और दूसरे लोग पेटी में बंद करके तालों में बंद करके रखते हैं घर से निकलूंगा तो बैंक में जाकर बंद हो जाऊंगा या लोगों की पेटियों में बंद हो जाऊंगा पर तुम बहुत किस्मत वाले हो बाहर घूमते रहते हो, बाजार घूमते रहते हो, हर जगह तुम्हारी पुछ परख है मंदिर हो, गुरुद्वारा हो, चर्च हो,हर जगह तुम्हें दान पेटी में डालते रहते हैं किसी गरीब को अगर कुछ देना हो तो तुम्हें ही निकाल कर देते हैं हर जगह तुम्हारा ही बोलबाला है.क्यों कि लोग  ₹2000 नोट किसी को दान में नहीं देंगे ,आरती में नहीं डालेंगे ,मंदिर में नहीं डालेंगे, पर दो का सिक्का जल्दी से निकालते हैं और हर जगह डालते हैं इसलिए भाई   मेरे  से ज्यादा तुम बहुत खुश नसीब हो इस कहानी का   तात्पर्य यह  है कि 
इंसान छोटा रहे या बड़ा रहे उस से मतलब नहीं है इंसान के जो कार्य हैं उसका महत्व होता है इंसान भली छोटा है अगर उसके कार्य ,उसकी सेवा बड़ी है तो वह बड़ा कहलाता है .इंसान यदि बड़ा है, पैसे वाला है, लेकिन उसके कर्म बहुत छोटे हैं तो वह छोटा ही रहेगा बड़ा नहीं कहलाएगा
. इंसान  की वैल्यू पैसों से नहीं बल्कि उनके कर्मों से होनी चाहिए.
कार्यक्रम के आखिर  में आरती की गई पल्लो पाया गया प्रसाद वितरण किया गया.संत लाल साई  जी के द्वारा डॉ.रमेश कलवानी, डॉ.अभिषेक कलवानी, राजेश कलवानी, नानक पंजवानी ,राजू चौधरी, पत्रकार फोटोग्राफर विजय, गोविंद  दुसेजा , सपना कलवानी, चित्र पंजवानी,का शाल पहनाकर श्रीफल देकर सम्मान किया व आशीर्वाद दिया.इस पूरे कार्यक्रम का सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारण किया गया घर बैठे हजारों की संख्या में भक्त जनों ने कार्यक्रम को देखा व आनंद लिया .इस कार्यक्रम को सफल बनाने में बाबा गुरमुखदास सेवा समिति, चकरभाटा श्री झूलेलाल महिला सखी सेवा  ग्रुप के सभी सदस्यों का विशेष योगदान रहा

श्री विजय दुसेजा जी की खबर

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