बंद मुट्ठी लाख की खुल गई तो खाक की ,,, डॉक्टर रमेश कलवानी
श्री झूलेलाल मंदिर झूलेलाल नगर चकरभाटा में चालिहा उत्सव
के 14 वे दिन कि धूनी का आयोजन नानक पंजवानी के द्वारा स्वर्गीय अपनी माताश्री की याद में कराई गई
कार्यक्रम की शुरुआत भगवान झूलेलाल एवं बाबा गुरमुख दास जी के फोटो पर माला अर्पण कर दीप प्रज्वलित करके साई जी के द्वारा की गई
नानक पंजवानी चित्रा पंजवानी रमेश कलवानी सपना कलवानी राजकुमार चौधरी अविनाश चौधरी एवं अन्य सदस्यों के द्वारा संत लाल साई जी का फूल माला पहनाकर स्वागत किया गया एवं भाभी मां का फूलों का गुलदस्ता देकर स्वागत किया गया
आज के इस धूनी में एसएसडी धाम रायपुर एवं बाबा गुरमुख दास सेवा समिति के सदस्य एवं महिला विंग की सदस्य भिलाई से एक बस भरकर 50 लोगों का जत्था श्री झूलेलाल मंदिर पहुंचे उल्हासनगर से महेश भाई सह परिवार सहित पहुंचे संत लाल साई जी के दर्शन किए आशीर्वाद लिया वह महिला विंग के द्वारा अपने मधुर व सुरीली आवाज में कई भक्ति भरे भजन गाए गए इसे सुनकर भक्तजन झूमने लगे
पंखीडा ओ पंखीडा
सिक तिह लगे सिक तीह लगे
तुहंजी भगवान झूलेलाल सिक तिह लगे
तुम हमारे हो हम तुम्हारे हैं साई हम पर दया दृष्टि बनाए रखना
रामजी की निकली सवारी रामजी की लीला है न्यारी एक तरफ लक्ष्मण एक तरफ सीता बीच में बैठे है जगत के पालन हारी
इस अवसर पर सपना कलवानी चित्रा पंजवानी ने भी अपनी मधुर आवाज में कई भक्ति भरे भजन गाए
राम अयो श्याम आयो गायन जो गोपाल आयो
एवं नानक पंजवानी ने भी भक्ति भरे भजन गाए
प्रभु आपकी कृपा से सब काम हो रहे हैं करते तुम हो भगवान झूलेलाल नाम हमारा हो रहा है
तू कितनी प्यारी है तू कितनी न्यारी है ओ मां ओ मां
यह भजन सुनकर कई भक्त जनों के आंखों से आंसू झलक ने लगे
डॉ रमेश कलवानी के द्वारा ज्ञानवर्धक एक कहानी सुनाई गई कहानी का शीर्षक था
बंद मुट्ठी लाख की खुल गई तो खाक की
कहानी 200 साल पुरानी थी
एक नगर रानीपुर में राजा का निवास था उस रानीपुर से 10 किलोमीटर दूर एक गांव बीजापुर था उस गांव में भगवान झूलेलाल का मंदिर था उस रानीपुर नगर में मात्र दो परिवार सिंधी समाज के रहते थे फिर भी 10 किलोमीटर दूर एक सज्जन व्यक्ति पंडित गोविंद कुमार ने भगवान झूलेलाल का छोटा सा मंदिर बनवाया था ताकि भले ही सिंधी समाज के 2 परिवार रहते हो पर कम से कम वह अपने इष्ट देव के मंदिर में आ सके पूजा अर्चना कर सके अपने धर्म से जुड़े रहे हर चेट्रि चंद्र के दिन उस मंदिर में धूमधाम से भगवान झूलेलाल का जन्म उत्सव मनाया जाता था धीरे-धीरे यह बात पूरे नगर में फैल गई जैसे ही राजा को पता चली राजा ने सोचा कि मेरे नगर से थोड़ी दूर पर इतना बढ़िया मंदिर है भगवान झूलेलाल का मुझे पता नहीं था तो उन्होंने अपने मंत्री को आदेश किया की आने वाले चेटी चंद्र पर हम उस मंदिर में जाएंगे और भगवान के दर्शन करेंगे जैसे ही यह बात उस मंदिर के पंडित गोविंद कुमार को पता चली तो वह खुशी के मारे फुले नहीं समा रहा था और उसने सोचा इतना बड़ा राजा वह कई मंत्री यहां आएंगे मंदिर में पर मंदिर तो छोटा है
तो उसने साहूकार पुरुषोत्तम से ₹10000 उधार लिए दो पर्सेंट में और मंदिर का बढ़िया रंग रोगन करवाया बाहर टेंट लगवाई ताकि आने वाले लोगों को कष्ट ना हो जैसे ही चेत्री चंद्र का दिन आया राजा अपने लाव लश्कर के साथ मंदिर पहुंचा भगवान झूलेलाल के दर्शन किए और आरती में 25 पैसे चढ़ाएं यह देखकर पंडित गोविंद कुमार हैरान रह गया इतना बड़ा राजा और भगवान के आरती में मात्र 25 पैसे चढ़ाया
वह उदास हो गया राजा वहां से अपने राजभवन के लिए निकल प गया रात भर पंडित को नींद नहीं आ रही थी और सोच में पड़ गया भगवान झूलेलाल से प्रार्थना करने लगा हे प्रभु मैंने ₹10000 ब्याज में लिए हैं साहूकार से अब मैं यह कर्जा कैसे चुकाऊंगा मैंने सोचा था इतना बड़ा राजा आएगा तो दान दक्षिणा में सोने की मोहरे वह सोने का सामान देकर जाएगा पर यह राजा तो कंजूस निकला मात्र 25 पैसे चढ़ा कर गया रात भर पंडित गोविंद कुमार सोचता रहा क्या करूं कैसे करूं सोचते सोचते उसके दिमाग में एक आईडिया आया
उसने सुबह पूरे नगर में ढिंढोरा पिटवा दिया कि राजा ने जो चीज मुझे चढ़ावे में दी है उसको मैं नीलाम कर दूंगा यह सुनकर दूर-दूर से गांव वाले नगर के लोग पहुंचे उसने उस चवन्नी को मुट्ठी में बंद कर दिया और कहा कि राजा ने जो चीज मुझे दी है वह इस मुट्ठी में है और इसकी कीमत 10000 से शुरू होती है सभी लोग सोच में पड़ गए कि जरूर कीमती चीज होगी राजा ने दी होगी तो सभी लोग नीलामी में शामिल हुए वह बोली 10000 से बढ़कर 50000 तक पहुंच गई इतने में यह बात राजा को पता चली उसने सोचा अगर यह मुट्ठी खुल गई और उसमें से चवन्नी निकली तो लोग मुझ पर हसेंगे और मेरी बदनामी होगी
राजा ने मंत्री को बुलाया और कहा जाओ तुम उस नीलामी में शामिल हो जाओ
और उस पंडित गोविंद कुमार को सवा लाख रुपए देकर
उस चीज को डब्बे में रख कर चुपचाप यहां ले आओ
मंत्री पहुंचा वह सवाल लाख रुपए बोली लगाई बोली लगाकर वह चवन्नी डब्बे में रखकर राजा के पास ले गया
पंडित गोविंद कुमार बहुत खुश हुआ भगवान झूलेलाल के मंदिर में मत्था टेका ओर कहने लगा है हे प्रभु आज तूने मुझे बचा लिया और मेरी लाज रख ली उसने जाकर साहूकार पुरुषोत्तम को 10000 वापस कर दिए ब्याज के साथ
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर सच्चे मन से भगवान की आराधना पूजा की जाए तो मिट्टी भी सोना हो सकती है और झोपड़ी भी महल बन सकता है वह हर मुश्किल आसान हो सकती है जब तक मुट्ठी बंद है वह लाखों की है खुल गई तो वह कुड़ियों की है मतलब जब तक हम सब एक हैं परिवार में शहर में नगर में कहीं पर भी तो हमारी ताकत शक्ति के आगे सब नतमस्तक होंगे और जैसे हम लोग अलग अलग हो जाते हैं तो हर कोई हमारे ऊपर हावी हो जाता है इसीलिए एकता में ही शक्ति है अपने भगवान पर हमेशा भरोसा रखो विश्वास रखो उसकी पूजा करो आराधना करो इसमें ही आप सब का भला होगा
कार्यक्रम के आखिर में आरती की गई पल्लव पाया गया प्रसाद वितरण किया गया संत लाल साई जी के द्वारा नानकराम पंजवानी डॉ रमेश कलवानी राजकुमार चौधरी विजय गोविंद दुसेजा घनश्याम कुकरेजा महेश कुमार का शाल पहनाकर श्रीफल देकर सम्मान किया गया इस पूरे कार्यक्रम का सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारण किया गया हजारों की संख्या में घर बैठे भक्तजनों ने आज के इस कार्यक्रम का आनंद लिया इस पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में बाबा गुरमुखदास सेवा समिति श्री झूलेलाल महिला सेवा ग्रुप के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग रहा
श्री विजय दुसेजा जी की खबर