पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा प्रतिदिन ऑनलाइन सत्संग का आयोजन प्रातः 10:00 बजे उनके विभिन्न ऑनलाइन व्हाट्सएप ग्रुपों में किया जा रहा है जिसमें भक्तगण जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते हैं

पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा प्रतिदिन ऑनलाइन सत्संग का आयोजन प्रातः 10:00 बजे उनके विभिन्न ऑनलाइन व्हाट्सएप ग्रुपों में किया जा रहा है जिसमें भक्तगण जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते हैं

पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा प्रतिदिन ऑनलाइन सत्संग का आयोजन प्रातः 10:00 बजे उनके विभिन्न ऑनलाइन व्हाट्सएप ग्रुपों में किया जा रहा है जिसमें भक्तगण जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते हैं

पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा प्रतिदिन ऑनलाइन सत्संग का आयोजन प्रातः 10:00 बजे उनके विभिन्न ऑनलाइन व्हाट्सएप ग्रुपों में किया जा रहा है जिसमें भक्तगण जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते हैं

            आज की सत्संग परिचर्चा में पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने प्रतिदिन की भांति जिज्ञासा रखते हुए बाबा जी से पूछा कि संतगण कहते हैं कृष्ण ही राधा है तथा राधा ही कृष्ण है। दोनों दिखते अलग हैं पर वस्तुत: हैं एक। कृपया इस पर प्रकाश डालने की कृपा करें, राधा कृष्ण जी के स्वरूप का वर्णन करते हुए बाबा जी ने बताया कि राधा कृष्ण उसी तरह से है जैसे प्रकृति और पुरुष, जैसे शिव और पार्वती, जैसे सृष्टि रचयिता ब्रह्मा उनके काम को पूर्ण करने वाली सरस्वती, भगवान विष्णु पालन करता तो धन-धान्य से संपन्न करने वाली उनकी संगिनी लक्ष्मी, राधा कृष्ण कभी एक दूसरे से अलग थी ही नहीं वह तो केवल एक दूसरे का पर्याय है, कृष्ण ही राधा है और राधा ही कृष्ण है, भगवान श्री कृष्ण को जब अपने प्रेम लीला और भावों को प्रगट करना था तब उन्होंने  राधा की उत्पत्ति कि उनके भावों की उत्पत्ति की, कलयुग में राधे नाम और राधे भाव का उच्चारण मात्र ही प्रेम भाव उद्धृत कर देता है
          सत्संग परिचर्चा में बाबा जी ने गीता के महत्व को विदित कराते हुए बताया कि गीता केवल एक धार्मिक आध्यात्मिक  ग्रंथ नहीं वह सामाजिक एवं व्यावहारिक ग्रंथ भी है, वह हमारे जीवन की दिनचर्या  में समाहित ग्रंथ है,
      चर्चा को आगे बढ़ाते हुए किरण पांडे जी ने जिज्ञासा रखि कि भगवान श्री गणेश जी को  अधिक  कौन सी पूजा सामग्री, भोगप्रिय है, बाबा जी ने बताया कि  श्री गणेश भगवान के भोग में नारियल अत्यधिक प्रिय है उनको नारियल के लड्डू एवं नारियल से बने हुए प्रसाद बहुत अधिक प्रिय है उन्हें नारियल के तेल से जलाया गया दीपक भी बहुत अधिक प्रिय है दक्षिण भारत में भगवान श्रीगणेश को अभिषेक भी नारियल तेल से कराया जाता है, भोग में कैट कविट जिसे कहा जाता है उसका भी प्रसाद भगवान को प्रिय है लेकिन इसे उसी तरह से विसर्जित कर दिया जाता है जैसे कि शिव भोले को चढ़ाया धतुरा फल चढ़ाकर विसर्जित कर दिया जाता है इसे भोग के रूप में प्रसाद में ग्रहण नहीं किया जाता है, वैसे ही श्री गणेश भगवान को द्रुवा भी बहुत अधिक प्रिय है,दूर्वा हमेशा बढ़ती ही जाती है और यह उन्नति एवं विकास का प्रतीक है जैसे श्री गणेश भगवान सब की उन्नति एवं विकास के देव है इसीलिए इन्हें बहुत अधिक दूर्वा प्रिय है जितना आप इन्हें दुर्वा समर्पित करेंगे आपका भी वंश वृद्धि उसी तरह से होगा
आजकल संत श्री राम बालक दास जी जसपुर जिला के प्रवास में है आज 14 सितंबर को उन्होंने ग्राम लोरो,कस्तूरा, केंद्पानी, शारदा धाम , मनोरा , और जसपुर में बैठकों को संबोधित किया

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