हिंदी दिवस पर निर्मला स्कूल में आयोजित हुई वर्चुअल प्रतियोगिता, शिक्षकों ने रखी हिंदी भाषा पे अपनी बात
हिंदी दिवस पर निर्मला स्कूल में आयोजित हुई वर्चुअल प्रतियोगिता, शिक्षकों ने रखी हिंदी भाषा पे अपनी बात
देशभर में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह दिन हिंदी भाषा की महत्वता और उसकी नितांत आवश्यकता को याद दिलाता है. सन 1949 में 14 सितंबर के दिन ही हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था जिसके बाद से अब तक हर साल यह दिन 'हिंदी दिवस' के तौर पर मनाया जाता है। हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में निर्मला स्कूल में वर्चुअल प्रतियोगिता का आयोजन हुआ जिसमें छात्रों ने हिंदी भाषा की महत्ता को दर्शाता हुए अपनी बात रखी।निर्मला स्कूल की प्राचार्या सी स्वपना वर्गीस, मैनेजर सी सचिता फ्रांसीस एवं उप प्राचार्या सी अभ्या फ्रांसीस ने प्रतिभागियों को शुभकामनाएं प्रेषित किया और सभी को हिंदी दिवस की बधाई दी।
इस अवसर पर निर्मला स्कूल के हिंदी शिक्षकों ने अपनी बात रखी, विद्यालय के वरिष्ठ हिंदी शिक्षक विजय दीक्षित ने कहा कि हिंदी भाषा हम सबकी भाषा है. हिंदी सबको जोड़ती है और इसी कारण आज हिंदी देश विदेश में लोकप्रिय हो रही है. हिंदी भारत देश की राष्ट्र भाषा है, अनेक राज्यों की राजभाषा है, जिस तरह से हमारे देश में अनेक पर्व धूम धाम से मनायें जाते हैं उसी तरह हिंदी दिवस को एक पर्व के रूप में सम्मान मिलने की जरूरत है. हिंदी देश के कोने कोने में बोली और समझी जाती है. अभी कुछ दिनों पूर्व ही 5 देशों के संगठन " ब्रिक्स " सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने बात हिंदी में रखी. यह हम सभी के लिए गर्व का विषय है. विद्यालयों में भी हिंदी के सम्मेलन, कार्यक्रम समय- समय पर आयोजित कर हम अपनी राष्ट्र भाषा को सम्मानित कर सकते हैं.
इस क्रम पर शिक्षिका रितु मिश्रा ने कहा कि हिंदी देश की अत्यंत समृद्ध प्राचीन एवं उदार भाषा है, जिसने अपने सहस्त्र वर्ष के सफर में विभिन्न भाषाओं और बोलियों को मुक्त हृदय से स्वीकार कर स्वयं में समाहित कर हमेशा बड़प्पन ही दर्शाया है। हिंदी हमारे देश में राजभाषा अधिकारिक भाषा संपर्क भाषा और अधिकांश जनता की मातृभाषा के महत्वपूर्ण पद पर सुशोभित है। हिंदी एक समृद्ध कालजयी संपूर्ण भाषा होने के बाद भी वर्तमान समय में अपने देश में पराएपन और तिरस्कार सहन करने को विवश है ।ऐसा क्यों है कि हिंदी भाषा का महत्व एवं अस्तित्व केवल हिंदी दिवस एवं हिंदी पखवाड़े तक सीमित रह गया है हिंदी का उद्भव भारत की सबसे प्राचीनतम एवं विभिन्न भाषाओं की जननी देववाणी संस्कृत से हुआ है। भारत में प्रचलित सभी भाषाएं हिंदी की भगिनी एवं सखी है। वर्तमान समय में हमें हिंदी भाषा को दैनिक जीवन साहित्य एवं संपर्क भाषा के रूप में प्रयोग किए जाने की आवश्यकता है हिंदी को किसी दिवस की समय सीमा में ना बांध कर भारतीयों द्वारा उसे हृदय से अपनाने एवं जानने की आवश्यकता है तभी हम संपूर्ण, समृद्ध,कालजयी, सामर्थ्यवान हिंदी भाषा को उसके स्वर्णिम पद पर सुशोभित कर पाएंगे और हमारी भावी पीढ़ी के लिए यही अमूल्य भेंट होगी।
शिक्षिका रेहाना अली ने बताया की हम सबके लिए हिंदी दिवस और हिंदी भाषा का बहुत महत्त्व है। हिंदी हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा ही नहीं बल्कि हिंदुस्तानियों की पहचान भी है। आज के आधुनिक युग में हमें अंग्रेजी भाषा भी सीखना जरूरी है लेकिन हमें अपनी मातृभाषा हिंदी को कभी नहीं भूलना चाहिए। हमें “हिंदी है हम वतन है” नारे का सम्मान करना चाहिए।आज का युग आधुनिक का युग बन गया है और हम सब यह कोशिश करते हैं कि सोशल मीडिया के माध्यम से सभी लोगों तक यह संदेश पहुंचा सके कि हिंदी भाषा का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें।
हिंदी भाषा नहीं भावों की अभिव्यक्ति है,
यह मातृभूमि पर मर मिटने की भक्ति हैं.



