मालखरौदा में छत्तीसगढ़ राज्योत्सव की रजत जयंती पर लापरवाही उजागर — एसडीएम व तहसील कार्यालय अंधेरे में डूबे रहे, जनप्रतिनिधियों ने जताया आक्रोश

मालखरौदा में छत्तीसगढ़ राज्योत्सव की रजत जयंती पर लापरवाही उजागर — एसडीएम व तहसील कार्यालय अंधेरे में डूबे रहे, जनप्रतिनिधियों ने जताया आक्रोश

मालखरौदा में छत्तीसगढ़ राज्योत्सव की रजत जयंती पर लापरवाही उजागर — एसडीएम व तहसील कार्यालय अंधेरे में डूबे रहे, जनप्रतिनिधियों ने जताया आक्रोश
मालखरौदा में छत्तीसगढ़ राज्योत्सव की रजत जयंती पर लापरवाही उजागर — एसडीएम व तहसील कार्यालय अंधेरे में डूबे रहे, जनप्रतिनिधियों ने जताया आक्रोश

संवाददाता – चैतन्य बुद्ध भारद्वाज, मालखरौदा
मालखरौदा। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के 25 वर्ष पूरे होने पर पूरे प्रदेश में 1 नवंबर को रजत जयंती वर्ष धूमधाम से मनाया गया। शासन के निर्देशानुसार सभी शासकीय कार्यालयों को झालर और रोशनी से सजाने के निर्देश दिए गए थे। ब्लॉक मुख्यालय के जनपद पंचायत कार्यालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित अधिकांश कार्यालयों को खूबसूरती से सजाया गया, लेकिन आश्चर्य की बात यह रही कि ब्लॉक मुख्यालय के सबसे बड़े कार्यालय — एसडीएम कार्यालय एवं तहसील कार्यालय मालखरौदा — में रजत जयंती की रात अंधेरा पसरा रहा।
ग्रामीणों ने इसे अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही बताया। क्षेत्रवासियों ने कहा कि जब पूरा छत्तीसगढ़ अपने गौरवशाली 25 वर्ष का जश्न मना रहा था, तब मालखरौदा का प्रशासनिक मुख्यालय अंधकार में डूबा रहा।

जनपद अध्यक्ष कवि शरण वर्मा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि अधिकारी अपने कार्यालय को भी रोशन करना जरूरी नहीं समझते। यह रजत जयंती वर्ष छत्तीसगढ़ की पहचान और गौरव का प्रतीक है, और इस तरह की लापरवाही अस्वीकार्य है।”
वहीं जनपद सदस्य कुमार जितेंद्र बहादुर सिंह ने कहा, “एसडीएम और तहसील कार्यालय में झालर नहीं लगवाना गंभीर लापरवाही है। इससे शासन की छवि धूमिल होती है।”

जब इस संबंध में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मालखरौदा रूपेंद्र पटेल से पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “यदि झालर नहीं लगाई गई है, तो मैं इसकी जानकारी लेता हूं।”
तहसीलदार अनुज पटेल ने भी कहा कि वे मामले की जानकारी लेकर ही कुछ कह पाएंगे।

इसी बीच यह भी सामने आया है कि एसडीएम रूपेंद्र पटेल ने 19 मार्च 2024 को पदभार ग्रहण करने के बाद से अब तक मुख्यालय में निवास नहीं किया है। बताया जा रहा है कि वे मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर शक्ति में रहते हैं और शासन से हर माह गृह भत्ता भी प्राप्त करते हैं। इसके अलावा, शासकीय वाहन का निजी उपयोग किए जाने की शिकायतें भी सामने आई हैं।

स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने शासन से इस पूरे मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की मांग की है ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही दोबारा न हो।

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