🌟 *दशहरा पर्व पर स्वर्ण पत्र भेंट कर लोगों ने दी शुभकामनाएँ, घर-घर गूंजी आरती* 🌟
* विजयदशमी का पर्व जहां रावण दहन के साथ बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है, वहीं इसके उपरांत स्वर्ण पत्र भेंट करने की प्राचीन परंपरा ने भी नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष आकर्षण बटोरा। रावण दहन के पश्चात लोगों ने एक-दूसरे को स्वर्ण पत्र (सोने जैसे चमकदार वृक्ष पत्ते) भेंट कर शुभकामनाएँ दीं और घर-घर में आरती उतारकर समृद्धि की कामना की। शिक्षक धीरेंद्र कुमार वर्मा ने इस परंपरा का महत्व बताते हुए कहा कि दशहरे के दिन विशेष वृक्ष के पत्तों की पूजा की जाती है। इन्हें स्वर्ण पत्र के रूप में मान्यता प्राप्त है। मान्यता है कि इन्हें घर में धन-धान्य के स्थान पर रखने से समृद्धि बढ़ती है और सुख-शांति बनी रहती है। उन्होंने कहा कि यह परंपरा केवल धार्मिक आस्था ही नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर भी है, जिसे हर
पीढ़ी आगे बढ़ाती आ रही है। विकासखंड स्रोत समन्वयक संतोष वर्मा ने कहा कि विद्यार्थी भी इस स्वर्ण पत्र को बड़ी श्रद्धा से अपनी पुस्तकों में दबाकर रखते हैं। विश्वास है कि इससे शैक्षणिक रुचि बढ़ती है और मन लगाकर पढ़ाई करने की प्रेरणा मिलती है। वहीं महिलाएँ इसे अपने अलंकारों के बीच संजोकर रखती हैं, ताकि घर-परिवार में सुख, संपदा और सौभाग्य बना रहे। दशहरा पर्व के अवसर पर स्वर्ण पत्र भेंट करने की यह परंपरा सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है। लोग आपसी मेलजोल और भाईचारे के साथ इस पावन दिन को उत्साहपूर्वक मनाते हैं। इस मौके पर बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी उत्सव का हिस्सा बने और रावण दहन के बाद सड़कों और चौक-चौराहों पर स्वर्ण पत्र भेंट कर एक-दूसरे को बधाइयाँ देते दिखाई दिए।