*कुपोषण मुक्त करने हेतु शिशु धैर्य को गोद ली- मंजुलता श्रवण*

*कुपोषण मुक्त करने हेतु शिशु धैर्य को गोद ली- मंजुलता श्रवण*

*कुपोषण मुक्त करने हेतु शिशु धैर्य को गोद ली- मंजुलता श्रवण*
*कुपोषण मुक्त करने हेतु शिशु धैर्य को गोद ली- मंजुलता श्रवण*
छत्तीसगढ़ शासन ने कुपोषण मुक्त करने हेतु *गोद लेने* की योजना को लाभान्वित करते हुए वनांचल ग्रामीण स्कूल प्राथमिक शाला कुआगोंदी के सहायक शिक्षिका श्रीमती मंजुलता श्रवण ने बीड़ा उठाई। आंँगनबाड़ी केंद्र कुआगोंदी के कार्यकर्ता श्रीमती गोमतेश्वरी (छाया) ठाकुर की दिशा-निर्देशन में चलाई जा रही इस योजना का सहभागिता बनी । जो उस गांँव के लिए समाज को स्वस्थ रखने की परंपरा को आत्मसात करने में सफलीभूत रहे । महत्वपूर्ण किरदार की भूमिका को निभाने में सक्षमता और योग्यता का परिचय दी; ताकि नवजात शिशु जो शाररिक दृष्टि से विकास एवं वृद्धि को सामान्य स्थिति को प्राप्त कर सके और नवजात शिशु अपनी उम्र के अनुसार स्वस्थ एवं मस्त रहे।

*कुपोषित बच्चों को पोषण देने का दायित्वों को निर्वहन करने में सक्षम*
पूर्व में मुख्यमंत्री गौरव अलंकरण शिक्षा दूत से अलंकृत शिक्षिका श्रीमती मंजुलता श्रवण के मन में यह विचार आया कि समाज के बच्चों के लिए कार्य को सुनियोजित की जाए ताकि कुपोषण से जूझ रहे ऐसे बच्चों जो देश की भावी पीढ़ी को करने का काम करता है देश को संँवारने का काम उन बच्चों के कंधे में होता है ऐसे बच्चों के स्वास्थ्य की जानकारी लेना और उसे पीढ़ी को संँवारने की बात उनके मन में आई और आंँगनवाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा बताई गई योजना को क्रियान्वित करने में कामयाबी का परिचायक बनी । 

*बच्चों को स्वस्थ और सशक्त बनाने की नसीहत दी* ग्राम कुआगोंदी के नवदंपति श्रीमती निशा मरकाम और श्री लोकेश्वर मरकाम के नवजात संतति *धैर्य मरकाम* को कुपोषण मुक्त करने हेतु गोद ली और उन्होंने कहा कि गोद लेने का मतलब किसी भी व्यक्ति, अधिकारी, कर्मचारी, जनप्रतिनिधि या संस्था द्वारा आंँगनवाड़ी केंद्र में चिन्हित कुपोषित बच्चे को गोद लेना और
गोद लेने का तात्पर्य यह नहीं है कि बच्चे को घर ले जाना है, बल्कि उसकी देखभाल, पोषण और उपचार की जिम्मेदारी उठाना है। इस तरह से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की भूमिका को सफल बनाने में माहती योगदान देकर पुण्य का काम करने में कर कर्मठता का परिचय दी और कुपोषित बच्चों की पहचान कर उनके वजन, ऊँचाई और स्वास्थ्य की जानकारी लेते हुए जो शारीरिक रूप से ऊंँचाई में औसतन वृद्धि से कम होने के कारण कुपोषण मुक्त करने की योग्यता रखी । साथ ही बच्चे के देखरेख, संरक्षण व सुपोषित करने हेतु स्वस्थ होने तक उनके द्वारा सहयोग राशि प्रदान की गई। ताकि उनके द्वारा पोषण आहार आपूर्ति, टीकाकरण और स्वास्थ्य सेवाएँ समयानुसार सुनिश्चित हो सकें और स्वस्थ और निरोग रह सकें। गोद लेने वाले की जिम्मेदारी उत्साहित मन से करते हुए बच्चे के लिए अतिरिक्त पोषण आहार उपलब्ध कराना जैसे दूध, फल, पौष्टिक खाद्य सामग्री की व्यवस्था हेतु माहवार आर्थिक रूप से मददगार हुई।

*समय-समय पर बच्चे की स्वास्थ्य स्थिति की जानकारी लेना अत्यंत जरूरी समझी*

आंँगनवाड़ी केंद्र या घर पर बच्चे को प्रोत्साहन और सहयोग करने के उद्देश्य को साकार स्वरूप प्रदान की और समाज में यह भावना पैदा करने में सक्षम रही कि *हर बच्चा हमारा है और उसे बच्चों के स्वास्थ्य का देखरेख और सुरक्षा* प्रदान एक शिक्षक का भी दायित्व बनता है।
सरकारी प्रयासों के साथ-साथ जन-सहभागिता से कुपोषण मुक्त व आदर्श ग्राम की संकल्पना की । 
इसके इस सेवा भाव को दृष्टिगत करते हुए संकुल केंद्र कुआगोंदी के समस्त शिक्षकगण हर्ष व्याप्त करते हुए ऋतु बघेल एवं शत्रुघ्न साहू सहायक शिक्षक
बधाइयांँ एवं शुभकामनाएंँ संप्रेषित किये।

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