*बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पहल और लगातार अनुश्रवण पर ग्राम रिसेवाड़ा के पारधी जनजाति के केवल बच्चों ही नहीं बल्कि उनके परिवारों को मिला उनका कानूनी हक ।*

*बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पहल और लगातार अनुश्रवण पर ग्राम रिसेवाड़ा के पारधी जनजाति के केवल बच्चों ही नहीं बल्कि उनके परिवारों को मिला उनका कानूनी हक ।*

*बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पहल और लगातार अनुश्रवण पर ग्राम रिसेवाड़ा के पारधी जनजाति के केवल बच्चों ही नहीं बल्कि उनके परिवारों को मिला उनका कानूनी हक ।*
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, छत्तीसगढ़
*बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पहल और लगातार अनुश्रवण पर ग्राम रिसेवाड़ा के पारधी जनजाति के केवल बच्चों ही नहीं बल्कि उनके परिवारों को मिला उनका कानूनी हक ।*

छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को दैनिक समाचार पत्र कांकेर पत्रिका तथा नवभारत में प्रकाशित समाचार एवं सृजन समिति उत्तर बस्तर कांकेर के मनीष जैन, भूपेन्द्र नाग, ईश्वर कावड़े, उत्तम जैन, गिरधर यादव के माध्यम से प्रस्तुत आवेदन से यह जानकारी प्राप्त हुई थी कि जिला उत्तर बस्तर कांकेर के पिछड़े ग्राम रिसेवाड़ा में कुछ पारधी जन जाति के परिवार निवासरत् हैं, जो कि वोटर आई.डी. कार्ड से लेकर आधार कार्ड तक की समस्त वैधानिक सुविधाओं से वंचित हैं। आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा द्वारा प्रकरण का तत्काल संज्ञान लेकर प्रकरण कमांक 1307/2025 आयोग में दर्ज किया गया एवं जिला कलेक्टर को तुरंत राजस्व, वन, पुलिस विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग एवं महिला एवं बाल विकास विभाग का दल बनाकर इन परिवारों तक पहुँचकर उन्हें समस्त सुविधाएं उपलब्ध कराकर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये। जिला कलेक्टर ने तत्काल 05 सदस्यीय दल बनाकर कार्यवाही शुरू की। आयोग की अध्यक्ष के निर्देश पर जिले के द्वारा कृत सर्वेक्षण अनुसार ग्राम रिसेवाड़ा के पारधी जन जाति के 06 परिवारों के 34 सदस्य सर्वेक्षण में वहाँ निवासरत् पाये गये, जिनमें से केवल एक परिवार को छोड़कर शेष के वोटर आई.डी., आयुष्मान कार्ड तथा राशनकार्ड आदि तैयार करवा दिये गये हैं। केवल एक परिवार के दस्तावेज पूरे होते ही उनके भी समस्त आवश्यक दस्तावेज बनवाये जा रहे है। आयोग ने यह पाया कि उक्त परिवार जिला मुख्यालय से मात्र 25 किलोमीटर की दूरी पर निवासरत् है एवं आरक्षित वन क्षेत्र में कोण्डागांव से आकर रह रहे थे। इसलिए आयोग ने अपनी कार्यवाही केवल यहीं पर खत्म नहीं की है बल्कि प्रकरण की अगली सुनवाई 11 सितम्बर 2025 को नियत कर सभी परिवारों को सभी सुविधाएं दिलाने की लिखित पुष्टि चाही है। इसी के साथ आयोग द्वारा वन विभाग संबंधित समस्त अफसरों को भी आयोग में आहुत किया है ताकि यह पता चल सके कि आरक्षित वन क्षेत्र में रहने वाले इन परिवारों को अभी तक वन विभाग द्वारा संज्ञान लेकर वैधानिक अधिकारों को दिलाने के लिए क्या पहल की गई? आयोग ने इस पूरी कार्यवाही को लगातार अनुश्रवण कर मात्र ढाई माह में पूर्ण करवाया है। आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा द्वारा इन परिवारों को विकास की मुख्यधारा से जोड़े जाने की पहल के साथ साथ पूरे प्रदेश में ऐसे परिवारों की पहचान कर संज्ञान लेने के लिए वन विभाग को पत्र लिखा जा रहा है।

Ads Atas Artikel

Ads Atas Artikel 1

Ads Center 2

Ads Center 3