*छत्तीसगढ़ में हरितालिका तीज पर महिलाओं ने किया निर्जला उपवास एवं शिव पूजन*
छत्तीसगढ़ की पारंपरिक पर्व हरितालिका तीज के अवसर पर सुहागिन महिलाओं ने 24 घंटे का कठोर निर्जला उपवास रखकर भगवान शिव-पार्वती की विधि-विधान से पूजा अर्चना की और फलाहार कर उपवास पूर्ण किया। भरुवाडीह कला निवासी धीरेंद्र कुमार वर्मा की माता उर्मिला वर्मा ने बताया कि यह उपवास वे विवाह के बाद से निरंतर करती आ रही हैं और इसे निर्जला इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस व्रत में प्यास लगने पर भी जल का सेवन नहीं किया जाता, चाहे कितनी भी कठिनाई क्यों न हो। उनकी बेटी गायत्री वर्मा ने कहा कि हरितालिका तीज हिन्दू धर्म का एक प्रमुख व्रत है, जिसे विशेष रूप से सुहागिन स्त्रियाँ और अविवाहित कन्याएँ बड़े श्रद्धा और विश्वास के साथ करती हैं। सुनीता वर्मा और योगेश्वरी वर्मा ने इसकी पौराणिक कथा बताते हुए कहा कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तप किया था और जब उनके पिता हिमवान ने उनका विवाह विष्णु जी से करने की तैयारी की तो उनकी सखियाँ उन्हें वन में ले गईं, जहाँ उन्होंने कठोर निर्जल उपवास और तपस्या की और अंततः भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया। इसी स्मृति में यह पर्व हरितालिका तीज के नाम से आज भी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है।