*भाग्य से ज्यादा कोई नहीं पाता । पं उपेन्द्र शर्मा जी महराज (खुड़मुड़ी, तिल्दा वाले)*

*भाग्य से ज्यादा कोई नहीं पाता । पं उपेन्द्र शर्मा जी महराज (खुड़मुड़ी, तिल्दा वाले)*

*भाग्य से ज्यादा कोई नहीं पाता । पं उपेन्द्र शर्मा जी महराज (खुड़मुड़ी, तिल्दा वाले)*
*भाग्य से ज्यादा कोई नहीं पाता । पं उपेन्द्र शर्मा जी महराज (खुड़मुड़ी, तिल्दा वाले)**
खरोरा--
श्री मद भागवत महापुराण का भव्य आयोजन 8 जुलाई से 16 जुलाई 2025 तक नबंधा चौक, कर्मा माता वार्ड नंबर 14, सिंधौरी छत्तीसगढ़ में, चल रहा है। जिसमें श्रद्धालुओं की उमड़ती भीड़ ने कथा प्रेम का परिचय देते हुए कथा रस का पान किया। कथा वाचक के रूप में खुड़मुड़ी (तिल्दा नेवरा) निवासी भगवताचार्य पंडित उपेन्द्र शर्मा जी महराज, मूल पारायण पाठ लिए भगवताचार्य पं उत्कर्ष मंदिर हसौद निवासी और साथ में पंडित रुद्रांश शर्मा जी सहयोगी पंडित के रूप में हैं। कथा के मुख्य यजमान के रूप में श्री मति सरस्वती मिश्रा के सुपुत्र श्री मान दीपक कुमार अपने धर्मपत्नी झना मिश्रा के साथ में प्रतिष्ठित हैं। कथा आयोजन में मुख्य सहयोगी के रूप में श्री ज्योति प्रकाश मिश्रा, श्री मति रंजिता मिश्रा श्री रोशन श्री मति रोशनी मिश्रा, दीपांश, दीप्ति, आभा निधि, एवं समस्त मिश्रा परिवार हैं। सुदामा कृष्ण मिलन और रूखमणि विवाह आदि कथाओं को बड़े रोचक ढंग से पंडित श्री ने सुनाया कथा प्रसंग के माध्यम से आचार्य श्री ने कहा कुछ लोगों की पहचान दुख और विपत्ति काल में होती हैं। पुत्र की परख विवाह के बाद, पुत्री की परख जवानी में, पति की परख पत्नी की बीमारी में, बहन की परख जायदाद में, पत्नी की परख पति की गरीबी में, और मित्र की परख मुसीबत के समय होती है। कथा में लोगों को ज्ञानवर्धक प्रसंगों को बताते हुए आचार्य श्री ने कहा संसार में कोई अपने भाग्य और तकदीर से ज्यादा नहीं पाता इसी लिए कोई अमीर नजर आता है और कोई फकीर । सुख की अनुभूति मन से होती है इसी लिए जो सुख धनवान व्यक्ति धन वैभव में महसूस करता है वही सुख अनुभूति और आनन्द अपने प्रभु भक्ति के लगन में एक फकीर और भक्त करता है। पंडित श्री ने कहा कि अपने को बड़ा कहाना है तो बड़ा बड़ा काम करना होगा। और कुछ बलिदान भी अर्थात त्याग भी करना होता है। बिना त्याग के सफलता नहीं मिलती जैसे मोक्ष प्राप्त करने वाले को कामना का त्याग करना होता है। उसी तरह हमें अपने जीवन में कुछ प्राप्त करने के लिए कुछ त्याग करना होता है। कथा में रूखमणि कृष्ण कि झांकी, और सुदामा कृष्ण के मिलन की झांकी का भी दर्शन लाभ श्रोता जन प्राप्त किए। बारिश का मौसम होने पर भी श्रोताओं की अपार भीड़ नजर आई।

श्री रोहित वर्मा जी खबर

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