वनांचल गांव टेकाडोढ़ा में महार/ महरा समाज ने पेश की शादी में फिजूल खर्ची रोकने के लिए मिसाल, हुआ ठेका विवाह
वनांचल गांव टेकाडोढ़ा में महार/ महरा समाज ने पेश की शादी में फिजूल खर्ची रोकने के लिए मिसाल, हुआ ठेका विवाह
दांपत्य जीवन में बंधे जोड़े, लंबे समय से थी एक दूसरे के लिए वर वधु की तलाश, अब गृहस्थ जीवन की हुई शुरुआत
बालोद। डौंडी ब्लॉक के ग्राम टेकाडोढ़ा में महार/ महरा समाज के एक परिवार ने शादी में फिजूल खर्ची रोकने के लिए "ठेका विवाह" कर मिसाल पेश की। यह ठेका विवाह प्राचीन संस्कृति का प्रतीक है। जो आज के दौर में विलुप्त हो रही है। इस ठेका विवाह के अंतर्गत वधू पक्ष के लोग वर पक्ष के घर जाते हैं और पूरे शादी के रस्मो रिवाज एक ही दिन संपन्न कर वर के घर ही फेरे लेकर अपने गृहस्थ जीवन की शुरुआत करते हैं। इस क्रम में ग्राम फ़रदडीह के रहने वाले सेउक राम सहारे की बेटी माधुरी की शादी टेकाडोढ़ा के रहने वाले रामेश्वर उंदरा से हुई। एक ही दिन में सभी रस्में निभा कर सादगी और शांतिपूर्ण तरीके से शादी कराई गई। ना कोई दिखावा न कोई फिजूल खर्ची, कम खर्चे में ही यह शादी टेकाडोढ़ा में संपन्न हुई। जिसने माहरा समाज के लिए भी एक अच्छा संदेश दिया। इस रिश्ते की शुरुआत की बात करें तो कन्या माधुरी के जीजा दीपक आरदे निवासी खल्लारी का अक्सर सामाजिक कार्यक्रमों के चलते बालोद आना-जाना होता था। इस दौरान टेकाडोढ़ा के रामेश्वर उंदरा बालोद के भोजनालय में काम करते थे और रात में सामाजिक भवन में ही रहते थे। इस बीच 40 वर्षीय रामेश्वर, उनसे चर्चा करते थे कि मेरे लिए कोई उम्रदराज शादी के लिए लड़की हो तो जरूर बताएं। तो वही दीपक आरदे के जरिए उन्हें उनकी एक