प्रेरणा साहित्य समिति बालोद द्वारा साहित्य अलंकरण एवं शिक्षक सम्मान का सफल आयोजन
प्रेरणा साहित्य समिति बालोद द्वारा जनकवि स्वर्गीय बिसंभर यादव मरहा के पुण्यतिथि के अवसर पर प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी साहित्य अलंकरण, पुस्तक विमोचन एवं शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन सरस्वती शिशु मंदिर बालोद में 10 सितंबर रविवार को किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि - मा. मोहन मंडावी जी (सांसद कांकेर लोकसभा क्षेत्र)
अध्यक्षता - मा. जगदीश देशमुख जी (प्रधान संपादक मानस मंजूषा एवं कार्यकारी अध्यक्ष तुलसी मानस प्रतिष्ठान छत्तीसगढ़)
विशिष्ठ अतिथि - सीताराम साहू श्याम (वरिष्ठ साहित्यकार एवं लोक गायक)
डॉ. अशोक आकाश (समन्वयक छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग जिला बालोद)
टीकम पिपरिया (ब्यूरो चीफ भास्कर दूत)
उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की पूजा अर्चना एवं स्वर्गीय बिसंभर यादव मरहा जी को श्रद्धा सुमन अर्पित कर किया गया। शिव कुमार अंगारे द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया गया। सोहन साहू , राजेश कश्यप एवम रानू निषाद द्वारा राजगीत की प्रस्तुति हुई। सरस्वती वंदना एवं राजगीत के पश्चात अतिथियों का स्वागत किया गया। स्वागत गीत श्रीमती गायत्री साहू द्वारा प्रस्तुत किया गया। प्रेरणा साहित्य समिति के अध्यक्ष जयकांत पटेल ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया।
प्रेरणा साहित्य समिति के पूर्व अध्यक्ष पुष्कर सिंह राज ने प्रेरणा साहित्य समिति की साहित्यिक यात्रा पर विस्तृत प्रकाश डाले। प्रतिवेदन के पश्चात प्रसिद्ध भाषाविद, समीक्षक एवं कहानीकार हिंदी विभागाध्यक्ष शासकीय महाविद्यालय बेलोदी डॉ दीनदयाल दिल्लीवार को प्रेरणा साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अतिथियों के कर कमलों से शॉल श्रीफल एवं सम्मान पत्र भेंट किया गया। सम्मान पश्चात डॉ. दिल्लिवार ने कहा कि साहित्य समाज में समन्वय का कार्य करता है और आज यहां साहित्य, शिक्षा और कला का सुंदर समन्वय देखने को मिल रहा है। इसके पश्चात छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध गीतकार, फिल्म पटकथा लेखक, आकाशवाणी के गायक गिरवरदास मानिकपुरी को स्वर्गीय बिसंभर यादव मरहा पुण्य स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मान के पश्चात मानिकपुरी ने कहा कि छत्तीसगढ़ की माटी में ऐसा जादू है कि हम एक दूसरे से सहजता से मिल जाते हैं और हमारी आत्मीयता बढ़ती जाती है। हास्य हमारे मन को आनंदित करता है। उद्बोधन की कड़ी में विशिष्ट अतिथि टीकम पिपरिया ने कहा कि जिस प्रकार लोकतंत्र में मीडिया को चौथा स्तंभ माना गया है उसी प्रकार साहित्य और शिक्षा भी चौथा स्तंभ है क्योंकि साहित्यकार के पास कलम कि ताकत होती है साथ ही शिक्षक ही ज्यादातर साहित्यकार होते हैं। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के जिला समन्वयक डॉ अशोक आकाश ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रेरणा साहित्य समिति अपने आयोजनों के लिए छत्तीसगढ़ में पहचानी जाती है। आज बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो साहित्यकार बनना चाहते हैं और साहित्यकारों से सलाह लेते हैं। पर कोई साहित्यकार उसी व्यक्ति को साहित्यकार बना सकता है जिसमे वह गुण पहले से निहित हो। वैसे ही जैसे एक अंकुरण होने वाले बीज को ही पौधा बनाया जा सकता है। लोककला के मूर्धन्य कला निर्देशक श्री पुसन कुमार साहू द्वारा लिखे गीत एवं उनके द्वारा निर्देशित ऑडियो वीडियो एलबम मया मतौना का विमोचन किया गया। जिसके पश्चात एल्बम का एक गीत गायिका रानू निषाद एवं गायक राजेश कश्यप द्वारा सोहन साहू के संगीत में गाया गया। गीत के पश्चात पश्चात बालोद जिले के वरिष्ठ साहित्यकार प्रेरणा साहित्य समिति के संरक्षक, तुलसी मानस प्रतिष्ठान छत्तीसगढ़ के कार्यकारी अध्यक्ष, मानस मंजूषा के प्रधान संपादक श्री जगदीश देशमुख जी द्वारा रचित "क्यों छोड़े जाते हैं कबूतर?" काव्य संग्रह का विमोचन किया गया विमोचन के पश्चात काव्य संग्रह की भूमिका लिखने वाले लोग गायक एवं कवि श्री सीताराम साहू श्याम ने कहा की क्यों छोड़े जाते हैं कबूतर ठीक उसी प्रकार है जिस प्रकार पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित नाखून क्यों बढ़ते हैं है। जिस प्रकार नाखून पाश्विकता का प्रतीक है और वह जितना बढ़ाते जाता है हम उसे कांट देते हैं। ठीक इसी प्रकार हिंसा के माहौल में जितनी भी हिंसा फैलेगी हम उसे बढ़ने नहीं देंगे। हम उसका दमन करते रहेंगे। क्योंकि कबूतर शांति और अहिंसा का प्रतीक है। और इस हिंसा के वातावरण में हम अहिंसा को जीवित रखेंगे। क्यों छोड़े जाते हैं कबूतर? के रचयिता जगदीश देशमुख ने अपने साहित्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारे राष्ट्रीय पर्व में शांति के प्रति के कबूतर को उन्मुक्त गगन में छोड़ा जाता है। आज जब पूरी मानवता बम बारूद के ढेर पर खड़ी हुई है और ऐसी भयावह वातावरण में एक उम्मीद की किरण के रूप में कबूतर को छोड़ना यह दर्शाता है कि हम कभी भी अमानवीय कृत्यों को मानवता पर हावी होने नहीं देंगे। इस युद्ध के वातावरण में भी हम शांति को स्थापित करने का अथक प्रयास करते रहेंगे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मोहन मांडवी ने कहा की प्रेरणा साहित्य समिति द्वारा स्वर्गीय बिसंभर यादव मरहा की स्मृति में सम्मान प्रदान कर उनके योगदान को जीवित रखने का कार्य 2012 से किया जा रहा है। साथ ही शिक्षा और साहित्य का समन्वय बनाते हुए आपने कला, साहित्य और शिक्षा को संरक्षित करने का प्रयास किया है। लोक कला, लोक साहित्य और शिक्षा का संरक्षण हम सब का दायित्व है। आज मैं जिस मुकाम पर पहुंचा हूं उसमें कला, शिक्षा साहित्य और अध्यात्म का अहम योगदान है।साहित्य हमें एक दूसरे से जोड़ता है। यह बहुत ही गर्व का विषय है की प्रेरणा साहित्य समिति के माध्यम से साहित्यकार और शिक्षकों का सम्मान किया जा रहा है यह प्रक्रिया अनवरत चलनी चाहिए। उद्बोधन के पश्चात शिक्षकों को अक्षर प्रेरणा सम्मान से सम्मानित किया गया।जिसमें साल सिर्फ फल एवं प्रशस्ति पत्र माननीय सांसद महोदय श्री मोहन मांडवी जी द्वारा प्रदान किया गया।
बालोद जिला के उत्कृष्ट शिक्षकों को किया गया सम्मान
सम्मानित होने वाले शिक्षक डी एस देशमुख, युगलकीशोर देशमुख, पुरुषोत्तम देशमुख, रूपनारायण देशमुख, युराम देशमुख, हीरालाल चुरेंद्र, एस एल नागवंशी, बसंत कुमार बहुरूपी, आर एस रायपुरिया, मंजुलाल धनकर, टी एस पारकर, श्रीमती हर्षा देवांगन, जितेन्द्र गजेंद्र, बी आर बेलसर, दशरथ लाल साहू, गजेन्द्र पूरी गोस्वामी, वीरेन्द्र देशलहरा, श्रीमती तुलसी डोंगरे, देवघर साहू, मुरलीधर साहू, दीपक यादव,श्रीमती शारदा यादव, भंवर लाल साहू, श्रीमती रूपमती साहू, योगेश्वर यादव, पवन साहू, चंदन सिन्हा, नेमसिंह साहू, श्रीमती कादम्बिनी यादव, गोरेलाल शर्मा,अरुण साहू, लव कुमार सिंह, मोहन लाल चतुर्वेदी, टी आर महमल्ला, डी आर गजेंद्र, विश्राम चंद्राकर, कृष्ण कुमार दीप, माखन लाल साहू, शिव कुमार अंगारे, केशव राम साहू, जी एल खुरश्याम, चतुर्भुज साहू, रमेश यादव, श्रीमती गायत्री साहू, पुसन साहू, एस आर क्रिदत्त, श्रीमती मौसमी साहू, कन्हैया लाल बारले, देव जोशी गुलाब, वेद कुमार साहू, धर्मेंद्र कुमार श्रवण, मंजुलता श्रवण, पुष्पा चौधरी, श्रीमती शिवकुमारी श्रीवास्तव का सम्मान किया गया। उक्त कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए बालोद जिले के मधुर साहित्य परिषद लोहारा , सरस साहित्य समिति गुण्डरदेही, रचना साहित्य समिति गुरुर, हस्ताक्षर साहित्य समिति दल्ली राजहरा, राष्ट्रीय कवि संगम जिला बालोद, प्रांतीय छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के अध्यक्ष एवं पदाधिकारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर काव्यपाठ भी हुआ जिसमे अखिलेश्वर मिश्रा , गजपति राम साहू, दिनेंद्र दास साहेब, रमेश यादव, कैलाश साहू कुंवारा गुमान साहू ने काव्यपाठ किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में चंद्रकुमार देशमुख, सुरेश देशमुख, गजेंद्र साहू, श्यामलाल का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ। कार्यक्रम का संचालन समिति के सचिव डॉ एस एल गंधर्व एवं संगठन मंत्री लवकुमार सिंह ने किया। अभार ज्ञापन कोषाध्यक्ष दानेश्वर सिन्हा ने किया। उक्ताशय की जानकारी प्रेरणा साहित्य समिति के मीडिया प्रभारी सुरेश देशमुख ने दी।