मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ी को पाठ्यक्रम में शामिल करने और छत्तीसगढ़ी एवं हिन्दी साहित्य में विशिष्ट सृजन हेतु सम्मान की घोषणा से साहित्यकारों में खुशी की लहर
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ी को पाठ्यक्रम में शामिल करने और छत्तीसगढ़ी एवं हिन्दी साहित्य में विशिष्ट सृजन हेतु सम्मान की घोषणा से साहित्यकारों में खुशी की लहर
स्वतंत्रता दिवस के सुअवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ी को पाठ्यक्रम में शामिल करने और छत्तीसगढ़ी एवं हिन्दी साहित्य में विशिष्ट सृजन हेतु सम्मान की घोषणा से साहित्यकारों में खुशी की लहर है। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के बालोद जिला समन्वयक डॉ.अशोक आकाश ने मुख्यमंत्री के द्वारा आगामी शिक्षा सत्र से छत्तीसगढ़ी भाषा को कक्षा पहली से पांचवी तक एक विषय के रूप में पढ़ाये जाने की घोषणा का स्वागत किया है। मुख्यमंत्री को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि इससे छत्तीसगढ़ी भाषा और समृद्ध होगी। विदित हो कि छत्तीसगढ़ी भाषा को एक विषय के रूप में लागू करने की मांग कई वर्षों से चली आ रही थी। समय-समय पर साहित्यकारों ने इसके लिए कई बार शासन से गुहार लगाई थी। सकारात्मक पहल के साथ संस्कृति मंत्री अमरजीत सिंह भगत एवं संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद को दिये ज्ञापन से मिले सकारात्मक पहल के परिणामस्वरूप हमारी मातृभाषा को सम्मान का दर्जा मिल रहा है।
राजकाज की भाषा भी बने छत्तीसगढ़ी
किसान मजदूर छत्तीसगढ़ की नींव से जुड़े लोग हैं जिन्हें अपनी मातृभाषा छत्तीसगढ़ी बोलने में सहजता की अनुभूति होती है । जब वे किसी शासकीय कार्यालय में किसी कार्यवश जाते हैं तो अधिकारी कर्मचारियों द्वारा हिन्दी बोले जाने पर इन्हें असहजता की अनुभूति होती है।वे लगभग टूटी फूटी हिन्दी में बोल पाते हैं, इससे उन्हें शर्मिन्दगी का सामना करना पड़ता है, इसीलिए छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग की पहल पर पूरे छत्तीसगढ़ में जिला स्तर पर अधिकारी कर्मचारियों के लिये प्रशिक्षण का आयोजन किया गया लेकिन इसका कहीं दूर दूर तक कोई प्रभाव पड़ता नहीं दिख रहा है। साहित्यकार डॉ.अशोक आकाश ने बताया कि हमने बालोद जिला कलेक्ट्रेट में कलेक्टर श्री कुलदीप शर्मा की उपस्थिति में जिला स्तरीय छत्तीसगढ़ी प्रशिक्षण का आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न किया लेकिन उक्त प्रशिक्षण शिविर का जमीनी स्तर में कोई परिणाम नहीं मिल रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि छत्तीसगढ़ी को राजकाज की भाषा बनाई जाए, चूंकि सन 2007 से ही छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा मिल चुका है,लेकिन आज पर्यंत छत्तीसगढ़ी राजकाज की भाषा नहीं बन पाई है। शासकीय कार्यालयों,मंत्रालयों एवं विधानसभा में भी कार्यवाही हिंदी में ही की जा रही है, राजकाज की भाषा बन जाने से इन सभी जगहों पर छत्तीसगढ़ी में काम काज होंगे।
छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी सम्मान स्वागतेय
स्वतंत्रता दिवस पावन पर्व पर मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी सम्मान की घोषणा की है जिसके तहत तीन सम्मान दिए जाएंगे -
1. आंचलिक साहित्य के लिए,
2. हिंदी में पद्य साहित्य
3. हिंदी में गद्य साहित्य के लिए
उपरोक्त तीनों सम्मान के लिए पांच-पांच लाख रुपए की सम्मान राशि साहित्यकारों को दी जाएगी। मुख्यमंत्री की इस घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की यह घोषणा छत्तीसगढ़ी साहित्य संस्कृति और लोककला की समृद्धि संचयन और पल्लवन के लिये महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा, इससे साहित्यकारों को नव साहित्य सृजन की प्रेरणा मिलेगी उचित सम्मान मिलेगा,उत्कृष्ट साहित्य सृजन से छत्तीसगढ़ी साहित्य का संवर्धन होगा, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग जिला समन्वयक डॉ अशोक आकाश ने मुख्यमंत्री डॉ.भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ी राजभाषा संरक्षण हेतु शुभकामनाएँ संप्रेषित किया है।