सिंधी समाज की महिलाओं ने भगवान शिव का उपवास रखा व सगडा छोड़ा
प्रतिवर्ष कार्तिक माह के बाद प्रत्येक सोमवार को सिंधी समाज के द्वारा भगवान शिव का सगड़ा छोड़ा जाता है वह उपवास रखा जाता है इस दिन से बनी हुई रोटी या अन्य सामान खाना मना है
चावल या जुगाड़ किरोडी का खाने के लिए उपयोग किया जाता है वह जो हार के आटे की रोटी बनाई जाती है चौमुखी दीपक बनाया जाता है कच्चा दूध कच्चा नारियल मीठी ताहिरी और चार पेडे बनाए जाते हैं आंख की डाली का प्रयोग पूजा में किया जाता है इस सोमवार को भी सिंधी कॉलोनी मनोहर टॉकीज के पीछे समाज की महिलाओं ने उपवास रखा हुआ सगड़ा छोड़ा मुस्कान सिदारा के द्वारा कथा सुनाई गई
महादेव के सगि॒डे़ की कथा
राजा रूप कुमार के यहां बहुत ही सुंदर कन्या का जन्म हुआ। उनका नाम सुंदरी रखा गया।
सुंदरी धार्मिक विचारों वाली थी। वह महादेव भोलेनाथ की पूजा अर्चना करती थी और हर साल महादेव भोलेनाथ की कथा किया करती थी ।राजा को अपनी बेटी की यह बात बिल्कुल पसंद नहीं थी। राजा ने कई बार बेटी को मना किया पर बेटी नहीं मानती थी। आखिरकार मजबूर होकर राजा ने सोचा क्यों न सभी पंडितों को कथा सुनाने के लिए मना किया जाए।
राजा ने सभी पंडितों को बुलाकर कहा -कि अगर जो मेरी बेटी को महादेव की कथा सुनाएगा उसको फांसी पर लटका दिया जाएगा।
कथा सुनाने के लिए कोई भी पंडित नहीं आया। सुंदरी ने देखा कि कोई कथा( सगि॒डे़ की कथा )सुनाने के लिए नहीं आ रहा है तो वह घर से बाहर निकल कर जंगल में चली गई। जंगल में घूमते -घूमते एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गई। सुंदरी ने देखा कि वहां से एक ब्राह्मण गुजर रहा है जिसको कुष्ठ रोग है।
उस ब्राह्मण ने इस घने जंगल में कन्या को देखकर पूछा की हे !देवीआप इस जंगल में क्यों बैठे हो?
सुंदरी ने विस्तार पूर्वक पूरी बात बताई और विनती की, कि है !ब्राह्मण आप मुझे महादेव की कथा सुनाएं। ब्राह्मण ने कहा-
हां देवी !मैं आपको कथा अवश्य सुनाऊंगा ।आप कथा की पूरी सामग्री ले आए सुंदरी घर से निकलते वक्त कथा की पूरी सामग्री ले आई थी जोकि ब्राह्मण
के सामने रखी। ब्राह्मण और कन्या को कथा सुनते हुए एक औरत वहां से गुजर रही थी वह भी कथा सुनने बैठ गई।
महादेव भोलेनाथ की कथा का समापन हुआ और भोलेनाथ की सभी मिलकर स्तुति करने लगे।
महादेव की वंदना
हर हर महादेव प्रभु, तुम्हारा प्यारा नाम है।
हरि ओम नमः शिवाय शंभू, सुख के तुम सागर हो।
इस तरह से महादेव की वंदना करने लगे।
, सुंदरी और सभी की वंदना पूरी होते -होते ब्राह्मण का कुष्ठ रोग दूर हो गया।
वह औरत जो कथा सुनने बैठी थी वह सुंदरी से पूछने लगी कि तुम यह किस बात की कथा कर रही हो और इसके और क्या-क्या फायदे हैं कृपा करके विस्तार से मुझे बताइए सुंदरी ने इस कथा का विस्तार किया और कहां जो भी श्रद्धा पूर्वक इसका पालन करेगा तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
कथा
समापन के बाद प्रसाद वितरण किया गया
श्री विजय दुसेजा जी की खबर